
IAS नहीं बनते तो होते कबाड़ीवाला, जानिए अक्सर सुर्खियों में रहने वाले IAS अफसर दीपक रावत के जीवन की दिलचस्प कहानी
दीपक रावत का जन्म 24 सितंबर, 1977 को उत्तराखंड के मसूरी स्थित बरलोगंज में हुआ था। उन्होंने सेंट जॉर्ज कॉलेज मसूरी से अपनी शिक्षा पूरी की। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से स्नातक किया। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से एमफिल किया। साल 2005 में जेआरएफ के लिए उनका चयन हुआ, जिसके बाद उन्हें 8000 रुपये प्रति महीने मिलने लगे। जिससे उन्हें अपना खर्च चलाने में मदद मिली।
IAS दीपक रावत का जीवन परिचय IAS Deepak Rawat Biography In Hindi
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा :
दीपक रावत का जन्म 24 सितंबर 1977 को मसूरी, उत्तराखंड में हुआ। उनके माता-पिता किसान वर्ग से थे। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सेंट जॉर्ज कॉलेज, मसूरी से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने इतिहास में स्नातक की पढ़ाई हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से की और एम.ए. एवं एम.फिल. प्राचीन इतिहास में JNU से की ।
बचपन की रुचियां :
स्कूल : हाई स्कूल में वे इंजीनियरिंग या सेना की जगह कबाड़ी (स्क्रैप डीलर) बनना चाहते थे, क्योंकि उन्हें जंक कलेक्ट करना पसंद था।
IAS बनने तक की यात्रा :
- 24 वर्ष की आयु में उनके पिता ने पॉकेट मनी बंद कर दी, उन्होंने JRF परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ₹8000 मासिक कमाने शुरू किए ।
- UPSC में पहले दो प्रयास विफल रहे, लेकिन तीसरे प्रयास (2007 में) में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 12वीं रैंक हासिल की ।
- प्रारंभ में उन्हें IRS में चयन मिला, लेकिन उन्होंने IAS की तैयारी जारी रखी और अंततः IAS में सफलता प्राप्त की।
प्रशासनिक करियर :
बचने वाले IAS अधिकारी के रूप में रावत को 2007 बैच, उत्तराखंड कैडर से नियुक्त किया गया ।
उनकी प्रमुख तैनातियां :
DM : बागेश्वर (2011)
MD : कुमाऊं विकास मंडल (2012)
DM : नैनीताल (2014–2017)
DM : हरिद्वार (2017–2019); Kumbh Mela Officer (2021)
वर्तमान में : कुमाऊं मंडल कमिश्नर और CM कार्यालय में सचिव।
विशेष उपलब्धियां :
- बच्चों की पोषण योजनाओं (आंगनवाड़ी) के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त।
- यूट्यूब पर प्रशासनिक कार्यों को दिखाने वाले वीडियो से उन्हें लाखों फॉलोअर्स मिले (4M+)।
- एनजोर शब्दों में दावा : “प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाने की जिम्मेदारी”।
विवादित पहलू :
- 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें निर्देश दिया था आदेशों का पालन करने और कोर्ट का उल्लंघन न करने हेतु ।
- हरिद्वार में पुजारी पर कथित हमले के आरोप लगाए गए, लेकिन अंततः साबित नहीं हो पाए ।
निजी जीवन :
पत्नी : विजेता सिंह रावत, न्यायिक सेवा अधिकारी (मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट)।
बच्चों में एक बेटा दिव्यांश और एक बेटी दिरिशा हैं।