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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में जानिए कुछ खास बातें, घर परिवार छोड़ कैसे पहुंचे राजनीति में

Yogi Adityanath (योगी आदित्यनाथ) : ये तो सब जानते है कि वर्तमान समय में योगी आदित्यनाथ जी यूपी के मुख्यमंत्री है और यूपी में ही रहते है। मगर क्या आप जानते है कि राजनीती में कदम रखने से पहले योगी जी का जीवन कैसा था और आखिर क्यों उन्होंने राजनीती में ही कदम रखा। बहरहाल आज हम आपको यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन से जुडी ऐसी ही कुछ खास बातों से रूबरू करवाना चाहते है। दरअसल योगी जी को बचपन से ही राजनीती में रूचि थी और उनकी विचारधारा शुरू से ही राजनेताओ जैसी थी। बता दे कि स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद योगी जी ने महज बाईस साल की उम्र में ही अपना घर और परिवार सब कुछ त्याग दिया। जिसके बाद वह गोरखपुर के तपस्थली के ही हो कर रह गए।

Yogi Adityanath (योगी आदित्यनाथ)

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन से जुडी कुछ खास बातें :

इसके इलावा योगी जी जब स्कूल में पढ़ते थे तब वह अक्सर वाद विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लेते थे और इन प्रतियोगिताओं में तत्कालीन गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ मुख्य मेहमान के रूप में बुलाएँ जाते थे। फिर एक बार जब महंत जी ने योगी आदित्यनाथ का भाषण सुना, तो उनके भाषण से महंत जी काफी प्रभावित हुए। गौरतलब है कि कार्यक्रम के बाद महंत जी ने योगी जी को अपने पास बुला कर पूछा कि कहाँ के रहने वाले हो और कहाँ से आएं हो। इन सवालों के बाद दोनों में काफी लम्बी बातचीत हुई और फिर आखिरकार महंत जी ने योगी जी को गोरखपुर आने का न्यौता दिया।

यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के ही रहने वाले थे और वह योगी आदित्यनाथ जी के गांव से केवल दस किलोमीटर की दूरी पर रहते थे। हालांकि अवैद्यनाथ जी के बुलाने पर योगी जी गोरखपुर तो जरूर गए, लेकिन कुछ दिन वहां रुकने के बाद वापिस अपने गांव आ गए। इसके बाद योगी जी ने आगे पढ़ाई करने के लिए ऋषिकेश के ललित मोहन शर्मा महाविद्यालय में दाखिला लिया, लेकिन गोरखपुर जाने के बाद उनका मन पढ़ाई में नहीं लगा, क्यूकि उनका मन तपस्थली की तरफ होने लगा था।

ऐसे शुरू हुआ योगी आदित्यनाथ जी का राजनीतिक सफर :

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

बता दे कि इसी दौरान जब महंत अवैद्यनाथ जी बीमार पड़े तब योगी जी उनकी तबियत पूछने के लिए गोरखपुर पहुंचे और वहां पहुँचने के बाद उन्होंने देखा कि महंत जी काफी बीमार थे। इसके बाद महंत जी ने योगी जी को अपने पास बुलाया और कहा कि हम अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए लड़ाई लड़ रहे है। मगर मेरी हालत अभी काफी बिगड़ रही है, तो ऐसे में अगर उन्हें कुछ हो गया तो उस मंदिर को देखने वाला कोई नहीं होगा। यही वजह है कि कुछ दिनों बाद योगी जी घर पर नौकरी का बहाना गोरखपुर की तपस्थली की तरफ निकल पड़े और वहां महंत अवैद्यनाथ की शरण में ही रहे।

यहाँ तक कि महंत अवैद्यनाथ जी ने योगी जी को अपना उत्तराधिकारी ही बना लिया और उत्तराधिकारी बनने के बाद योगी जी केवल गोरखपुर के ही हो कर रह गए। इस तरह से योगी आदित्यनाथ जी का राजनीती का सफर शुरू हुआ और ऐसा शुरू हुआ कि फिर योगी जी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। अब यूँ तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काफी समय पहले ही अपना घर परिवार त्याग दिया था, लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं था कि वह अपने माता पिता से प्रेम नहीं करते थे। जी हां योगी आदित्यनाथ के मन में आज भी अपने माता पिता के लिए उतना ही सम्मान है जितना पहले था। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि राजनीती का सफर शुरू करने के बाद भी योगी जी कभी अपना कर्तव्य नहीं भूले।

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