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जब दुल्हन के घर 30 बैलगाड़ियां लेकर पहुंची बारात तो बुजुर्गों को याद आ गया पुराना वक्त, देखिए यह अनोखी शादी 

ये तो सब जानते है कि आज के आधुनिक समय में लोग बच्चे के जन्म से लेकर शादी तक का हर कार्यक्रम बड़े ही अनोखे और नए अंदाज से करते है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी शादी के बारे में बताना चाहते है, जिसे देख कर बुजुर्गों को अपना समय याद आ गया। जी हां मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक दूल्हे ने अपनी सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए अपनी बारात बैलगाड़ी पर निकालने की सोची। बहरहाल जब दुल्हन के घर 30 बैलगाड़ियां लेकर बारात पहुंची तो वहां मौजूद बुजुर्गों को अपना वक्त याद आना तो लाज़िमी था।

जब दुल्हन के घर 30 बैलगाड़ियां लेकर पहुंची बारात :

यहां गौर करने वाली बात ये है कि दूल्हे की बैलगाड़ी को एकदम कार की तरह सजाया गया था। यही वजह है कि इस शादी को देख कर हर कोई बेहद खुश नज़र आ रहा था। अब यूं तो आज के आधुनिक दौर में लोग बहुत सारा खर्चा करके हैलीकॉप्टर और महंगी गाड़ियों में दुल्हन की विदाई करवाने का सपना देखते है, तो ऐसे में यह शादी हर किसी के लिए एक बहुत बड़ी मिसाल है। जिसमें दुल्हन की विदाई बैलगाड़ी पर की गई। बता दे कि इस बारात में एक नहीं बल्कि तीस से भी ज्यादा बैलगाड़ियां थी।

हालांकि कुछ लोग ये सब देख कर हैरान थे तो वही बुजुर्ग इस नजारे को देख कर बेहद खुश नजर आ रहे थे। गौरतलब है कि यह अनोखी बारात बैतूल जिले के आमला ब्लॉक के बघवाड गांव से निकली थी, जहां चैतराम कासदेकर नाम के आदिवासी युवक की शादी थी। बहरहाल युवक और उसके परिवार ने अपनी परंपरा को जीवित रखने के लिए और शादी के गैर जरूरी खर्चों से बचने के लिए बैलगाड़ी पर बारात ले जाने का फ़ैसला किया और ऐसे में दूल्हे के साथ साथ सब बाराती भी बैलगाड़ी पर दुल्हन के घर पहुंचे थे।

पुरानी परंपरा दोबारा वापिस ला रहे है आदिवासी :

यहां तक कि सभी बैलगाड़ियों को बड़े अच्छे तरीके से सजाया गया था और अगर संगीत की बात करे तो इस शादी में डीजे या बैंड पर नहीं बल्कि बांसुरी, ढोलक, घंटियों और मंजीरे की मीठी ध्वनियों पर जम कर डांस किया गया। इसके बाद जब युवक अपनी दुल्हन नीतू को लेने उसके घर तक पहुंचा तो दूल्हे सहित सब लोगों का बड़े भव्य तरीके से स्वागत किया गया। बता दे कि इससे पहले मुलताई तहसील में भी एक बारात बैलगाड़ियों पर निकली थी, जहां एक दूल्हा सजी हुई बैलगाड़ियों पर सवार हो कर बारात लेने दुल्हन के घर पहुंचा था।

गौरतलब है कि बैतूल के जनजातीय ग्रामीण क्षेत्रों में लोग महंगाई से बचने के लिए पुराने वक्त में वापिस लौट रहे है। ऐसे में इसके दो फायदे है। जी हां पहला तो ये कि शादी काफी कम बजट में हो जाती है और दूसरा ये कि इससे हमारी पुरानी परंपराएं वापिस लौट रही है। फिलहाल तो आदिवासी समाज के प्रतिनिधि ये अपील कर रहे है कि लोग अब हमेशा अपनी परंपरा के अनुसार ही विवाह का आयोजन करे। दोस्तों इस अनोखी शादी के बारे के आपकी क्या राय है, इसका जवाब हमें जरूर दीजियेगा।

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