अध्यात्म

इन औरतों ने बदल दी रामायण, वर्ना न होता रामायण का अस्तित्व और न होता श्री राम का गुणगान

रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम परिचित ही हैं, मगर इस महाकाव्य में रह’स्य बनकर छुपी है। भगवान राम और देवी सीता के जन्म एवं जीवनयात्रा का वर्णन जिस महाकाव्य में किया गया है उसे रामायण के नाम से जाना जाता हैl हालांकि ऐसा माना जाता है कि मूल रामायण की रचना “ऋषि वाल्मीकि” द्वारा किया गया था, लेकिन कई अन्य संतों और वेद पंडितों जैसे- तुलसीदास, संत एकनाथ आदि ने इसके अन्य संस्करणों की भी रचना की है।

हालांकि प्रत्येक संस्करण में अलग-अलग तरीके से कहानी का वर्णन किया गया है, रामायण की इन 5 महिलाओं के बिना इसका स्वरूप कुछ और ही होता। इन महिलाओं ने न सिर्फ रामायण को एक मूल रूप दिया बल्कि इसकी अहमियत को भी कई गुणा बढ़ा दिया। देखें कैसे और किन मिहलाओं ने बदल दी रामायण की गाथा।

भगवान श्रीराम की पत्नी सीता :

श्रीराम की पत्नी सीता। राम रावण युद्ध में सीता मुख्य कारण रही और वही सीता राम द्वारा परित्यक्त किए जाने पर धरती में समा गई। ये बात बहुत लोगों को बुरी लगती है कि श्री राम ने रावण वध करने के बाद माता सीता को क्यों अपनी पवित्रता साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा देने को कहा। बहुत लोग रामायण की इस घटना को लेकर भगवान राम को बुरा भी कहते हैं और इसकी अलग अलग ढंग से व्याख्या भी करते हैं।

कौशल्या :

कौशल्या रामायण की एक प्रमुख पात्र हैं। वे कौशल प्रदेश की राजकुमारी तथा अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी थीं। कौशल्या को राम की माता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कौशल्या ने राजा दशरथ की आज्ञाकारी पत्नी होने का हर कर्तव्य निभाया। राम जैसे मर्यादा पुरुष को जन्म देकर कौशल्या हमेशा के लिए समाज की नजरों में कायम रहेगी।

कैकेयी :

राजा दशरत की तीन रानियों में से का नाम कैकेयी था, ये वही स्त्री थी जिसकी वजह से भगवान श्री राम को वनवास जाना पड़ा था। महत्वाकांक्षी कैकेयी न होती तो शायद रामायण का स्वरूप कुछ और ही होता। एक महिला की महत्वाकांक्षा क्या क्या करवा सकती है, कैकेयी उसका उदाहरण रही।

मंथरा :

श्री राम के वनवास जाने के पीछे एक बड़ा हाथ मंथरा का भी था, मंथरा ने कैकेयी के कान भरे, मंथरा यूं तो रामायण की खलनायिका है लेकिन अगर दूसरे नजरिए से देखा जाए मंथरा के भड़काने पर ही राम वनवास गए, सीता हरण के हालात बने और राम रावण युद्ध हुआ।

शूर्पणखा :

शूर्पणखा लंका के राजा रावण की बहन तथा दानवों के राजा कालका के पुत्र विद्युज्जिह्व की पत्नी थी. रामायण काल में लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काटे जाने से क्रोधित होकर ही रावण ने सीता का हरण किया था, मगर स्वयं शूर्पणखा ने रावण का सर्वनाश होने का श्राप दिया था क्योंकि रावण की बहन शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह का वध रावण ने कर दिया था। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा।

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