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“श्री गौ गौरी गोपाल सेवा संस्थान” के मशहूर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के जीवन से जुडी ये बातें शायद नहीं जानते होंगे आप

Shri Aniruddhacharya Ji Maharaj Biography : वैसे तो आपने कई बड़े बड़े सेलिब्रिटी की बायोग्राफी के बारे में पढ़ा और सुना होगा, लेकिन आज जिन आचार्य जी के बारे में हम बात करने जा रहे है, उनके जीवन परिचय के बारे में काफी कम लोग ही जानते होंगे। जी हां हम बात कर रहे है परम पूज्य श्री अनिरुद्धाचार्य महाराज जी का, जिनका जन्म 27 सितम्बर 1989 को जबलपुर मध्य प्रदेश शहर में हुआ था। बता दे कि भाद्रपक्ष मास में कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि को बुधवार के दिन माँ नर्मदा के किनारे स्थित विष्णु वराह भगवान की नगरी से महज नौ किलोमीटर की दूरी पर रिंवझा में आचार्य जी का जन्म हुआ था। तो चलिए अब आपको श्री अनिरुद्धाचार्य जी का जीवन परिचय क्या है इसके बारे में विस्तार से बताते है।

Shri Aniruddhacharya Ji Maharaj Biography

Shri Anirudhachary Ji Maharaj

श्री अनिरुद्धाचार्य जी का जीवन परिचय :

गौरतलब है कि महाराज जी बाल्यकाल से ही अपने गांव के राधा कृष्ण जी के मंदिर जाकर ठाकुर जी की सेवा करते थे और खूब भक्ति पूजा करते थे। इसके साथ ही अपने पारम्परिक गौ भक्त परिवार से होने के चलते वे गौ माता की सेवा करने में काफी आनंदित महसूस करते थे। यहाँ तक कि उन्हें गौ माता के बछड़ों के साथ खेलना काफी अच्छा लगता था। केवल इतना ही नहीं इसके इलावा जब महाराज जी गाय चराने के लिए जाते थे तब हनुमान चालीसा और गीता भी अपने साथ लेकर जाते थे और हर रोज सस्वर पाठ किया करते थे। वे अपने सहपाठियों से भी पाठ करवाया करते थे।

कम उम्र में ही वेद पुराण और शास्त्रों का कर लिया था अध्ययन :

इस प्रकार बचपन से ही सेवा और धार्मिक ग्रंथों में रूचि होने से महाराज जी को श्री धाम वृन्दावन में ठाकुर जी की कृपा से वेद पुराण और शास्त्रों का अध्ययन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। ऐसे में काफी कम उम्र में ही महाराज जी ने शास्त्रों को कंठष्थ कर लिया। बता दे कि महाराज जी ने श्री धाम वृन्दावन में ही रामानुजाचार्य सम्प्रदाय से ही ठाकुर जी के परम कृपा पात्र परम तपस्वी और तेजस्वी गृहस्थी संत श्री गिर्राज शास्त्री जी महाराज श्री से दीक्षा प्राप्त की है। इसके साथ ही महाराज श्री जी को अयोध्या से श्री राम कथा का अध्ययन अंजनी गुफा वाले गुरु जी से प्राप्त हुआ था। फिर अध्ययन सम्पूर्ण करने के बाद उन्होंने अपनी जन्मभूमि में ही पहली बार अपनी आवाज में श्री हनुमान जी महाराज से आशीर्वाद लेने के बाद कथा सुनाई थी।

पूरे भारत में लहराई सनातन धर्म की ध्वजा :

यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि अपनी जन्मभूमि में कथा सुनाने के बाद श्री महाराज जी श्री हनुमान जी महाराज से आशीर्वाद लेकर पूरे भारतवर्ष में सनातन धर्म की ध्वजा को लहराते हुए इसका प्रचार प्रसार करते हुए लोगों के जीवन की दिशा और दशा को बदलते हुए भक्ति के रास्ते की तरफ निकल पड़े। बहरहाल भक्ति के साथ साथ श्री महाराज जी सेवा भी करते रहे और कई गरीब, असहाय तथा जरूरतमंदों का सहारा बनते हुए उनकी कन्यायों की शादी करवाते हुए हमेशा सेवा में लीन रहे।

वृद्धजनों और गरीबों की सेवा के लिए आश्रम की रखी नींव :

श्री गौ गौरी गोपाल सेवा संस्थान समिति

वही अगर हम उनके पुण्य प्रयासों की बात करे तो 23 जनवरी 2016 को श्री गौ गौरी गोपाल सेवा संस्थान समिति (Gauri Gopal Vraddhashram) की नींव महू इंदौर मध्य प्रदेश में रखी गई। इसी सेवा भक्ति के चलते श्री धाम वृन्दावन में वृद्धजनों के आश्रय और उनकी सेवा के लिए सोलह मई 2019 को गौरी गोपाल आश्रम की नींव श्री महाराज जी द्वारा उनके गुरु जी के करकमलों से और कई भक्तों के सानिध्य में रखी गई। जिसका उद्देश्य केवल ओर केवल वृद्धजनों की सेवा करना और उनके रहने, खाने के लिए समुचित व सुसज्जित व्यवस्था करना है, ताकि कोई भी वृद्धजन बिना घर के ओर बिना भोजन किये भूख से न सोने पाए। बता दे कि पूज्य श्री महाराज जी अब तक करीब पांच सौ से ज्यादा कथाएं पूरे भारतवर्ष में कर चुके है। आपको जान कर खुशी होगी कि श्री महाराज जी द्वारा आयोजित हर धार्मिक कार्यक्रम वृद्धमाताओं की सेवा के लिए समर्पित होता है। तो ये है श्री अनिरुद्धाचार्य जी का जीवन परिचय, जिससे हर किसी को प्रेरणा जरूर लेनी चाहिए।

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