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एक अरब से ज्यादा लोगों के कंप्यूटर पर दिखने वाली ये तस्वीर आखिर कहां से आई, यहां जानिए विस्तार से

अगर हम वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी की बात करे तो इसमें कोई शक नहीं कि बहुत ही कम सालों में टेक्नोलॉजी ने काफी तरक्की की है और जहां पहले लोग लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करते थे, वही अब स्मार्टफोन का इस्तेमाल होने लगा है। वैसे तो आज कल लैपटॉप का जमाना है, लेकिन इस दुनिया में शायद ही कोई शख्स ऐसा होगा, जिसने कंप्यूटर पर काम न किया हो। बहरहाल कंप्यूटर पर दिखने वाली तस्वीर जिसे करीब एक अरब से ज्यादा लोग तो देख ही चुके होंगे, क्या आप जानते है कि आखिर वो तस्वीर आई कहां से और इस तस्वीर को किसने अपने कैमरे में कैद किया था। अगर नहीं जानते तो चलिए आपको इस बारे में सब कुछ विस्तार से बताते है।

एक अरब से ज्यादा लोग देख चुके है यह तस्वीर :

बता दे कि ये कंप्यूटर जनरेटेड वॉलपेपर नहीं बल्कि एक सचमुच की तस्वीर है, जिसके वजूद में आने के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल यह तस्वीर फोटोग्राफर चार्ल्स द्वारा ली गई है और इस तस्वीर को लेकर हमेशा से ही सस्पेंस बना रहा है। यहां तक कि एक बार तो चार्ल्स को माइक्रोसॉफ्ट के ऑफिस से फोन भी आया था। जी हां वहां के इंजीनियर्स में शर्त लगी थी और वो चाहते थे कि चार्ल्स खुद आ कर इस मामले को सुलझाए।

बहरहाल बहुत से लोगों को ये लग रहा था कि ये तस्वीर वॉशिंगटन की है और फिर चार्ल्स ने सही जानकारी दे कर इस मामले को सुलझाया था। गौरतलब है कि चार्ल्स ने बताया कि यह तस्वीर अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत की है, जहां नेपा वैली नामक एक जगह है, जिसके पास के कस्बे सोनोमा काउंटी में ये छोटी सी पहाड़ी है। बता दे कि ये साल 1996 की बात है, जब जनवरी के महीने में चार्ल्स अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए कार में निकले थे और हाल ही में उस इलाके में आंधी तूफान आया था। ऐसे में वहां पहली बार मौसम खुला था और फिर सोनोमा हाईवे से गुजरते हुए ही चार्ल्स की नज़र इस पहाड़ी पर पड़ी।

चार्ल्स के पास हमेशा रहता था कैमरा :

वही एक प्रोफेशनल फोटोग्राफर होने के चलते चार्ल्स के पास हमेशा कैमरा मौजूद रहता था। तो उन्होंने इस सुंदर नजारे को अपने कैमरे में कैद कर लिया और इस दौरान उन्होंने थोड़े थोड़े अंतराल के बाद करीब चार फोटो ली तथा वापिस लौट आएं। ये तब की बात है जब चार्ल्स नेशनल जियोग्राफिक चैनल के लिए काम करते थे और उनकी नौकरी में इस तस्वीर का कोई काम नहीं था। जिसके चलते उन्होंने यह तस्वीर स्टॉक करने वाली वेबसाइट कॉर्बिज पर डाल दी। जहां थोड़ी सी लाइसेंसिंग फीस के बाद इस तस्वीर को कोई भी इस्तेमाल कर सकता था।

यहां गौर करने वाली बात ये है कि करीब चार पांच साल बाद उन्हें अचानक एक दिन माइक्रोसॉफ्ट की डेवलपमेंट टीम का कॉल आया और उन्होंने कहा कि उन्हें वह तस्वीर चाहिए। वह उस तस्वीर को अपने नए ऑपरेटिंग सिस्टम का डिफॉल्ट वॉलपेपर बनाना चाहते थे और वे इस तस्वीर को किराए पर नहीं बल्कि इसके नेगेटिव के साथ खरीदना चाहते थे। हालांकि इस तस्वीर की कीमत का खुलासा अब तक नहीं हुआ है, लेकिन ये दुनिया की महंगी तस्वीरों में दूसरे स्थान पर है।

दोबारा कोई कैप्चर नहीं कर पाया ऐसी तस्वीर :

बता दे कि तब चार्ल्स से एक गोपनीय अग्रीमेंट साइन करवाया गया था और चार्ल्स से कहा गया था कि वे ओरिजिनल रोल उन्हें भेजे। ऐसे में जब कोरियर कंपनियों को उस रोल की कीमत का पता चला तो उन्होंने रोल ले जाने से मना कर दिया। जिसके कारण माइक्रोसॉफ्ट ने चार्ल्स के लिए प्लेन का टिकट भेजा और फिर चार्ल्स खुद उस तस्वीर के डिलीवर करके गए थे। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने तस्वीर का नामकरण किया ब्लिस जिसका मतलब परमानंद है। हालांकि जब इस तस्वीर की लोकेशन का पता चला तो कई लोगों ने वहां जा कर उसी सीन को अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश की, लेकिन सब नाकामयाब रहे।

शायद इसलिए क्योंकि तब वहां अंगूर की बेलें आ गई थी, जिसके कारण पहाड़ी का व्यू असंभव हो गया। मगर 2006 में गोल्डिन और सेनेबी नाम के दो आर्टिस्ट वहां गए थे और फिर से वही तस्वीर खींची गई जिसे पेरिस को आर्ट गैलरी में प्रदर्शित किया गया था। वैसे इसमें कोई शक नहीं कि चार्ल्स ने इस तस्वीर के जरिए काफी नाम कमाया है और जिन लोगों ने दोबारा ऐसी तस्वीर लेने की कोशिश की उन्हें पूरी तरह से सफलता कभी नहीं मिली। शायद इसे ही सही जगह पर अपने हुनर का सही इस्तेमाल करना कहते है। दोस्तों एक अरब से ज्यादा लोगों द्वारा देखी जा चुकी इस तस्वीर के बारे में आपका क्या कहना है, ये हमें जरूर बताइएगा।

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