सलमान खान के पिता सलीम खान अपने दौर के मशहूर स्क्रीनराइटर थे और उन्होंने अपने करियर में सलीम जावेद के साथ मिलकर कई सुपरहिट फिल्में लिखी हैं। एक मूवी ने अमिताभ बच्चन को फ्लॉप एक्टर से सुपरस्टार बना दिया था, जबकि दूसरी फिल्म 50 साल पहले रिलीज हुई थी, जिसने समय के साथ कल्ट क्लासिक का दर्जा अपने नाम कर लिया।
सलीम खान बॉलीवुड के मशहूर स्क्रीनराइटर हैं। उन्होंने अपने करियर में कई कल्ट फिल्में दी हैं। 1970 के दशक में उन्हें अपनी शानदार स्क्रीनराइटिंग और फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव लाने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। उनकी लिखी कई फिल्में सिनेमा के इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।
जंजीर (1973) :

जंजीर फिल्म ने अमिताभ बच्चन को बॉलीवुड के एंग्री यंग मैन के रूप में स्थापित किया था। इसका क्रेडिट निश्चित रूप से सलीम खान को जाता है। बिग बी ने ईमानदार और साहसी इंस्पेक्टर विजय खन्ना का किरदार निभाया, जो अपने अतीत के दर्द से परेशान है, लेकिन न्याय करना जानता है। 1973 में रिलीज हुई ‘जंजीर’ एक ऐसी फिल्म है, जिसने फिल्म इंडस्ट्री में हीरो की परिभाषा ही बदल दी थी।
शोले (1975) :
जावेद अख्तर के साथ मिलकर सलीम खान ने शोले फिल्म लिखी थी। रमेश सिप्पी के डायरेक्शन में बनी इस मूवी ने इतिहास रच दिया था। उन्होंने इस मूवी के जरिए जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू (धर्मेंद्र) जैसे यादगार किरदार दिए, जिनकी दोस्ती हर मुश्किल पर भारी पड़ती है। डाकू गब्बर सिंह (अमजद खान) का किरदार खूब पॉपुलर हुआ।
डॉन (1978) :
एक और क्लासिक फिल्म डॉन ने सलीम खान की दमदार कहानी कहने की शैली की बदौलत अमिताभ बच्चन को स्टारडम की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इस एक्शन थ्रिलर फिल्म में अमिताभ बच्चन डबल रोल में नजर आए थे। डॉन का एटीट्यूड और विजय की मासूमियत ने दर्शकों के दिलों को जीत लिया था। इसके यादगार डायलॉग्स आज भी लोगों को याद हैं।
मिस्टर इंडिया (1987) :

अनिल कपूर और श्रीदेवी की इस फिल्म में सलीम खान ने अपनी पटकथा लेखन की एक अलग ही झलक दिखाई. इसमें अनिल कपूर ने सुपरहीरो का किरदार निभाया था, जिसके पास एक डिवाइस के जरिए गायब होने की शक्ति है। वह इस शक्ति का इस्तेमाल अपराध से लड़ने और बच्चों की रक्षा करने में करता है। अमरीश पुरी ने मोगैंबो का रोल निभाकर महफिल लूट ली थी।’
दीवार (1975) :
यश चोपड़ा के डायरेक्शन में बनी ‘दीवार’ दो भाइयों की कहानी है, जो कानून के दो बिल्कुल अलग रास्तों पर बड़े होते हैं। एक तरफ विजय (अमिताभ बच्चन) है, जिसे गुस्से और संघर्ष ने गढ़ा है और दूसरी तरफ, पुलिस अफसर रवि (शशि कपूर) है, जो नैतिकता और कर्तव्य के प्रति समर्पित है। हीरो और एंटी-हीरो के कॉन्सेप्ट की सलीम की गहरी समझ ने फिल्म में एक परफेक्ट कंट्रास्ट पेश किया।