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ऐसे बदली थी दिलीप कुमार की किस्मत, जानिए यूसुफ खान से बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग बनने तक का सफर

Dilip Kumar Biography In Hindi : ये तो सब जानते है कि बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार साहब अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले उन्होंने न केवल बॉलीवुड पर बल्कि पूरी दुनिया पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। जी हां बॉलीवुड में आने के बाद दिलीप कुमार की किस्मत कैसे बदली थी और किस तरह से वह यूसुफ खान से बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग बने थे, आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताना चाहते है। तो चलिए अब आपको दिलीप कुमार जी के जीवन की कहानी के बारे में सब कुछ बताते है।

Dilip Kumar Biography In Hindi

ऐसे बदली थी दिलीप कुमार की किस्मत :

बता दे कि दिलीप कुमार जी ऐसी शख्सियत थे जो न केवल फिल्मी पर्दे पर बल्कि असल जिंदगी में भी लोगों के लिए मिसाल बने और अपने दौर में वह लड़कियों के दिलों में बसते थे। अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो सिर्फ आम लड़कियां ही नहीं बल्कि बॉलीवुड की कई एक्ट्रेस भी दिलीप कुमार को बेहद पसंद करती थी और उन्हीं में से एक सायरा बानो जी भी है। हालांकि अगर हम दिलीप कुमार जी के वास्तविक जीवन की बात करे तो उनका जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था और उनका असली नाम यूसुफ खान था।

इसके इलावा उनके पिता का नाम लाला गुलाम सर्वर खान और माता का नाम आयशा बेगम था। बहरहाल दिलीप कुमार जी के बारह भाई बहन थे और दिलीप साहब ने अपनी स्कूल की पढ़ाई नासिक के बार्नेस स्कूल से पूरी की थी। बता दे कि दिलीप कुमार और राज कपूर जी बचपन से ही काफी अच्छे दोस्त थे और दोनों ने एक ही मोहल्ले में अपना बचपन बिताया था। यही वजह है कि बॉलीवुड में आने से पहले ही दोनों एक दूसरे के अच्छे साथी बन चुके थे और फिर बड़े फिल्मी सितारे बने।

इस तरह यूसुफ खान से बने थे दिलीप कुमार : Dilip Kumar Biography In Hindi

गौरतलब है कि 1940 के दूसरे भाग में दिलीप कुमार जी की अपने पिता से बहस हो गई थी, जिसके बाद वह अपना घर छोड़ कर पुणे आ गए थे और यहां आने के बाद उन्होंने एक पारसी कैफे ऑनर और वृद्ध एंग्लो इंडियन कपल की मदद से सैंडविच स्टॉल लगाया था। बता दे कि बेहतरीन ज्ञान और अच्छी अंग्रेजी बोलने की वजह से उन्हें यह कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। बहरहाल जब यह कॉन्ट्रैक्ट खत्म हुआ तब दिलीप जी ने करीब पांच हजार रुपए बचाएं थे और फिर वह मुंबई अपने घर वापिस लौट गए थे।

इसके बाद साल 1943 में अपने पिता की मदद करने के लिए दिलीप साहब ने काम की तलाश करनी शुरू कर दी और इसी दौरान वह बॉम्बे टॉकीज पहुंचे, जहां उर्दू भाषा का अच्छा ज्ञान होने की वजह से उन्हें स्टोरी राइटिंग और स्क्रिप्टिंग का काम दिया गया था। तभी बॉम्बे टॉकीज की मालकिन रह चुकी एक्ट्रेस देविका रानी ने उन्हें अपना नाम यूसुफ खान से बदल कर दिलीप कुमार रखने को कहा था। फिर दिलीप कुमार को फिल्म ज्वार भाटा में कास्ट किया गया था, लेकिन इस फिल्म को लोगों ने कुछ खास पसंद नहीं किया।

बॉलीवुड को कई हिट फिल्में दी थी दिलीप साहब ने :

यहां गौर करने वाली बात ये है कि कुछ फ्लॉप फिल्में देने के बाद दिलीप कुमार ने एक्ट्रेस नूर जहान के साथ फिल्म जुगनू में काम किया और यह उनकी पहली हिट फिल्म साबित हुई थी। इसके बाद तो उन्होंने शहीद और मेला जैसी कई हिट फिल्मों में भी काम किया था और इसके इलावा अपने दोस्त राज कपूर तथा नरगिस जी के साथ फिल्म शबनम में भी काम किया था। बता दे कि 1950 के दौर में बॉलीवुड पर्दे पर केवल दिलीप कुमार साहब ही छाए हुए थे और तब उन्होंने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दी थी। दरअसल यह वो दौर था जब दिलीप जी ने फिल्मों में कई गंभीर किरदार निभाए थे और इसी वजह से उन्हें बॉलीवुड का ट्रेजेडी किंग भी कहा जाता था।

यहां तक कि फिल्मों में निभाए गए गंभीर किरदारों के कारण वह तनाव में भी चले गए थे और फिर अपने मनोचिकित्सक की सलाह पर दिलीप साहब ने खुशमिजाज किरदार करने शुरू कर दिए। हालांकि लोगों को दिलीप कुमार का हंसता खेलता हुआ किरदार भी काफी पसंद आया था। इसके बाद साल 1960 में दिलीप कुमार जी ने फिल्म मुगल ए आजम में बेहतरीन किरदार निभा कर दर्शकों का दिल जीत लिया और यह बॉलीवुड की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी।

सबसे ज्यादा अवार्ड्स जीतने वाले भारतीय एक्टर थे दिलीप कुमार :

बता दे कि साल 1961 में दिलीप कुमार ने गंगा जमुना फिल्म प्रोड्यूस की थी और प्रोड्यूसर के रूप में यह उनकी पहली और इकलौती फिल्म थी। हालांकि इसके बाद 1970 का दौर आया, जब दिलीप कुमार को अपने करियर में असफलता का सामना भी करना पड़ा था। जी हां उनकी कई फिल्में फ्लॉप होने के बाद राजेश खन्ना और संजीव कुमार को काम दिया गया और फिर दिलीप कुमार ने पांच साल का ब्रेक ले लिया था। इसके बाद साल 1981 में दिलीप कुमार जी ने फिल्म क्रांति से बॉलीवुड में दोबारा एंट्री की और यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई और 1991 में दिलीप कुमार ने सौदागर फिल्म में काम किया था तथा यह उनकी आखिरी सफल फिल्म साबित हुई थी।

अब यूं तो दिलीप कुमार ने काफी लंबे समय से बॉलीवुड फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि उन्हें बॉलीवुड जगत के महान एक्टर्स में से एक माना जाता है और भारतीय एक्टर के रूप में उन्होंने सबसे ज्यादा अवार्ड्स जीते थे, इसलिए उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल है। जी हां दिलीप कुमार साहब ने आठ फिल्मफेयर अवार्ड्स, एक फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, नेशनल फिल्म अवार्ड, पद्मभूषण, पद्मविभूषण, दादा साहब फाल्के और पाकिस्तान सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक होने का सम्मान निशां ए पाकिस्तान में भी उनका नाम शामिल किया गया था। तो कुछ इस तरह से बदली थी दिलीप कुमार की किस्मत और ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि दिलीप साहब वास्तव में अपने फैंस के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे।

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