Chaitra Navratri 2021 : बता दे कि कुछ ही दिनों में चैत्र महीने की नवरात्रि शुरू होने वाली है और हिन्दू धर्म में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जी हां इस त्यौहार के दौरान माता रानी के नौ रूपों की पूजा की जाती है और उनकी सच्चे मन से आराधना की जाती है। इसके इलावा अगर ज्योतिषाचार्य की माने तो नवरात्रि का आरम्भ दो विशेष अमृत सिद्धि और स्वार्थ सिद्धि योगों में हो रहा है। ऐसे में माँ दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूजा करने के साथ साथ व्रत भी रखे जाते है। बहरहाल इस साल नवरात्रि का त्यौहार तेरह अप्रैल से शुरू हो कर इक्कीस अप्रैल तक रहेगा। यानि कुछ ही दिनों में शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, तो ऐसे में माता रानी का आगमन करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाईये।
Chaitra Navratri 2021
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना तारीख और शुभ मुहूर्त :
नवरात्रि की पूजा में घटस्थापना 13 अप्रैल को की जाएगी।
घटस्थापना का मुहूर्त- 13 अप्रैल 2021 दिन मंगलवार
सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 08 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, पूजा का शुभ मुहूर्त है ये :
यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि चैत्र शुक्ल पक्ष बसंत ऋतु वासंतिक नवरात्र सनातन धर्म में व्रत पर्व के निर्धारण का आधार स्तम्भ चंद्र संवतसर ही होता है और इस साल यह तेरह अप्रैल यानि मंगलवार से आरम्भ हो रहा है। इसका मतलब ये है कि इस वर्ष के राजा मंगल होंगे और कलश स्थापन प्रातः काल पांच बज कर अठाईस मिनट से शुरू हो कर आठ बज कर छयालीस मिनट तक रहेगा। जब कि अभिजीत मुहूर्त का समय ग्यारह बज कर छत्तीस मिनट से शुरू हो कर बारह बजकर चौबीस मिनट के बीच का समय रहेगा।
बता दे कि माता रानी की विदाई विजयदशमी के दिन बुधवार यानि इक्कीस अप्रैल को होगी और गुरुवार को विजयदशमी होने से नर वाहन घोड़े पर माता रानी जाएगी, जो राष्ट्र के लिए सुख समृद्धि का कारक होगा। तो चलिए अब आपको माता रानी के नौ रूपों के बारे में भी विस्तार से बताते है।
ये है माता रानी के नौ रूप : Chaitra Navratri 2021
शैलपुत्री : बता दे कि यह माता रानी का प्रथम रूप है और इस रूप को माता शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। जी हां माता शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल होता है और बाएं हाथ में कमल धारण किया हुआ होता है। इसलिए माता शैलपुत्री को वृषभारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है।
देवी ब्रह्मचारिणी : बता दे कि माँ दुर्गा के दूसरे रूप को देवी ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है और इन माता के दाएं हाथ में माला तथा बाएं हाथ में कमण्डल होता है।
माँ चंद्रघंटा : गौरतलब है कि यह माता रानी का तीसरा रूप है और माता रानी के इस रूप को माँ चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। जी हां माता रानी के इस रूप के दस हाथ है और माता रानी अस्त्र शस्त्र से सजी हुई होती है। इसके इलावा माँ चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्ध चन्द्रमा विराजमान होता है और इसी वजह से माता रानी के इस रूप का नाम माँ चंद्रघंटा है।
माता कुष्मांडा : बता दे कि माता रानी के चौथे रूप को माता कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है और माता कुष्मांडा की आठ भुजाएं है तथा माँ शेर की सवारी करती है। इसके साथ ही माँ के हाथों में गदा, चक्र, धनुष, कमण्डल, कलश, बाण और कमल सुसज्जित होता है।
माँ स्कंदमाता : बता दे कि माता रानी के पांचवे रूप को माँ स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है और माँ की चार भुजाएं तथा माँ ने अपने दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान् कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है। इसके इलावा माँ स्कंदमाता का वाहन सिंह है।
माता रानी के हर रूप का है अपना महत्त्व :
माँ कात्यायनी : बता दे कि ये माता रानी का छठा रूप है और माता रानी के इस रूप को माँ कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। जी हां इस रूप में माता का रंग स्वर्ण की तरह बेहद चमकीला और उनकी चार भुजाएं होती है। बहरहाल माँ कात्यायनी का वाहन भी सिंह ही है।
माँ कालरात्रि : ये माता रानी का सातवां रूप है, जिसे माँ कालरात्रि के नाम से जाना जाता है। अगर धार्मिक मान्यताओं की माने तो माँ कालरात्रि आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाली है और माता के इस रूप के चार हाथ तथा तीन नेत्र है। जब कि माँ कालरात्रि का वाहन गधा है।
माँ महागौरी : बता दे कि माता रानी के आठवें रूप को माँ महागौरी के नाम से जाना जाता है और माँ के चार हाथ तथा उनका वाहन बैल है। इसके इलावा माँ महागौरी का रंग श्वेत है और उनके आभूषण भी श्वेत रंग के ही है।
माँ सिद्धिदात्री : बता दे कि माता रानी के नौवें रूप को माँ सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है और माँ का वाहन सिंह है। जिनके चार हाथ है और माँ सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान होती है। बहरहाल अब तो आपको पता चल गया होगा कि आखिर कब से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, तो इस नवरात्रि पर माता रानी के नौ रूपों का आगमन करने के लिए तैयार हो जाईये।