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इस वजह से गई थी रामायण की मंथरा की एक आंख की रोशनी, जानिए इसके पीछे की कहानी

इसमें कोई दोराय नहीं कि श्रीराम को वनवास भेजने में सबसे बड़ा मंथरा का था। जी हां वो इसलिए क्यूकि अगर मंथरा, कैकेयी को न भड़काती तो शायद श्रीराम को वनवास न जाना पड़ता और तब शायद रामायण भी न होती। यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो मंथरा रामायण की बुरी ही सही लेकिन सबसे अहम किरदार है। वैसे हम आपको बता दे कि रामानंद सागर की रामायण में मंथरा का किरदार ललिता पवार जी ने निभाया था। जो बॉलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेस में से एक थी। मगर क्या आप जानते है कि रामायण की मंथरा की एक आंख की रोशनी कैसे गई और किस तरह से उन्हें आंख के सहारे जिंदगी जीनी पड़ी।

मंथरा की एक आंख

मंदिर में हुआ था रामायण की मंथरा का जन्म :

गौरतलब है कि ललिता पवार के फ़िल्मी करियर में एक मोड ऐसा भी आया था, जिसने उनकी जिंदगी को बदल कर रख दिया। अब वो मोड क्या था, ये आपको पूरी कहानी पढ़ने के बाद ही पता चलेगा। सबसे पहले तो आप ये जान लीजिये कि ललिता पवार का जन्म नासिक में एक मंदिर में हुआ था। जी हां बात ये है कि गर्भवती अवस्था में जब ललिता पवार की माँ मंदिर में भगवान् के दर्शन करने गई थी तब उसी दौरान ललिता पवार का जन्म हो गया। तो ऐसे में उनकी माँ ने उनका नाम देवी के नाम पर रखा था। आपको जान कर हैरानी होगी कि बॉलीवुड की वैम्प कही जाने वाली ललिता का असली नाम अम्बिका पवार था।

साल 1935 में आई फिल्म में पहनी थी बिकनी :

यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि ललिता पवार के पिता एक बड़े बिजनेसमैन थे, लेकिन फिर भी ललिता जी अपने दम पर कुछ करना चाहती थी। इसलिए उन्होंने महज नौ साल की उम्र में ही बाल कलाकार के रूप में फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था और उनकी पहली फिल्म का नाम राजा हरीश चंद्र था। आपको जान कर ताज्जुब होगा कि शुरुआत में ललिता पवार मूक फिल्मों में काम किया करती थी और तब उन्हें अठारह रूपये महीने का दिया जाता था। वही अगर हम उनकी पहली बोलने वाली फिल्म की बात करे तो उस फिल्म का नाम हिम्मत ए मर्दा था, जो साल 1935 में आई थी। इस फिल्म में उन्होंने बि;कनी सीन भी दिया था।

मंथरा की एक आंख

एक थप्पड़ ने बिगाड़ दिया ललिता पवार का करियर :

बहरहाल जब ललिता पवार ने उस दौर में बि;कनी सीन दिया, तब चारो तरफ हंगामा मच गया। बता दे कि बॉलीवुड में नाम कमाने के लिए उन्होंने अपना नाम भी बदल दिया और फिर उनका नाम अम्बिका से ललिता पवार हो गया। अब यूँ तो ललिता पवार का एक बड़ी एक्ट्रेस बनने का सपना पूरा होने की कगार पर था, लेकिन तभी उनके साथ एक हादसा हो गया। जी हां ये साल 1942 की बात है, जब वह जंग ए आजादी नाम की फिल्म की शूटिंग कर रही थी। इसी फिल्म के एक सीन में प्रसिद्ध एक्टर भगवान दादा को ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था। मगर भगवान दादा ने उन्हें इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि उन्हें चोट लग गई और फिर उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया।

गलत दवा के कारण टूट गया बड़ी एक्ट्रेस बनने का सपना :

ऐसे में डॉक्टर द्वारा गलत दवा दिए जाने के कारण ललिता पवार के चेहरे के दाहिने हिस्से को लकवा मार गया और तभी उनकी दाहिनी आंख की रोशनी भी चली गई। जिसके बाद उनका बड़ी एक्ट्रेस बनने का सपना तो टूट चुका था, लेकिन फिर भी ललिता पवार ने हार नहीं मानी और फिर उन्होंने फिल्मों में वैम्प का किरदार करने की ठानी। अब इसमें तो कोई शक नहीं कि ललिता पवार को आज भी बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन वैम्प माना जाता है।

मंथरा की एक आंख

इस वजह से ललिता पवार को बनना पड़ा वैम्प :

बता दे कि फ़िल्मी परदे पर उन्होंने बुरी सास होने का ऐसा किरदार निभाया कि उन्हें रामायण में भी मंथरा का रोल करने का ऑफर मिल गया। जिसे उन्होंने बेहतरीन तरीके से निभाया। तो ये है रामायण की मंथरा यानि ललिता पवार के जीवन के संघर्ष की बेहतरीन कहानी, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। अब तो आप जान गए होंगे कि आखिर रामायण की मंथरा की एक आंख की रोशनी कैसे गई और किस तरह से ललिता पवार ने मंथरा के किरदार को यादगार बना दिया।

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