अध्यात्म

छत्तीसगढ़ के ये रहस्यमयी शिव मंदिर आपको भी कर सकते हैं चकित, दर्शन मात्र से मुरादें होती हैं पूरी

विशाल वन और जंगलों से घिरा छत्तीसगढ़ मध्य भारत का एक खूबसूरत और प्रमुख राज्य है। साल 2022 में मध्य से अलग होकर बना छत्तीसगढ़ भारत का 26 वां राज्य बना था। आज यह राज्य कई मामलों में आगे निकाल चुका है। आज छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ के स्थित धमतरी, दंतेवाड़ा, रायपुर और चित्रकूट वॉटरफॉल्स जैसी जगहों के बारे में लगभग हर कोई जानता है, लेकिन यहां स्थित इन रहस्यमयी शिव मदिरों के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे। कहा जाता है कि इन शिव मंदिरों के दर्शन मात्र से भक्तों के बिगड़े काम बन जाते हैं।

भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple) :

Bhoramdeo Temple

छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारी शिव मंदिर का नाम से लिया जाता है, तो कई भक्त सबसे पहले भोरमदेव मंदिर के दरबार में ही पहुंचते हैं। छत्तीसगढ के कबीरधाम जिले में कवर्धा शहर के पास है। इस मंदिर को ‘छत्तीसगढ़ के खजुराहो’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर से मिलता जुलता है। कहा जाता है कि यह जो भी सच्चे मन से पहुंचता है, वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता है। महाशिवरात्रि के मौके पर राज्य के हर कोने से भक्त पहुंचते हैं।

भूतेश्वरदेव महादेव (Bhooteshwarnath Temple) :

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में स्थित भूतेश्वरदेव महादेव, राज्य के सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारी शिव मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह हर साल बढ़ता हुआ दिखाई देता है। भूतेश्वरदेव महादेव के इस चमत्कारी तथ्य को देखते हुए हर साल यहां लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। गरियाबंद ट्रिप में आप कुलेश्वर महादेव मंदिर का भी दर्शन करना न भूलें।

लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर (Laxmaneshwar Temple) :

Laxmaneshwar Temple)छत्तीसगढ़ के खरौद शहर में स्थित लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर, राज्य के सबसे चमत्कारी मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि यह मंदिर अपने शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सवा लाख छिद्र हैं। इस प्रसिद्ध मंदिर को कई लोग छत्तीसगढ़ का काशी के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर के बारे में लोक कथा है कि यहां जो भी आता है, तो खाली हाथ नहीं लौटता है।

देवबलोदा शिव मंदिर (Dev Baloda Shiv Mandir) :

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जब मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हुआ था, तभी कुछ रहस्यमयी घटनाएं घटित होने लगीं। एक बार निर्माण कार्य रोक दिया गया और फिर दोबारा कभी शुरू नहीं हो सका। लोगों का मानना है कि यह स्वयं भोलेनाथ की इच्छा थी कि मंदिर अधूरा रहे, ताकि यह स्थल चमत्कारी बना रहे। सावन के महीने में इस मंदिर में विशेष रौनक रहती है। सोमवार को यहां दूर-दूर से श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं। भक्तों का मानना है कि जो सच्चे दिल से यहां मन्नत मांगता है, उसकी हर इच्छा जरूर पूरी होती है. यही वजह है कि यह मंदिर अब सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कार का प्रतीक बन गया है।

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