‘पीपल के पेड़’ की परिक्रमा करने से होते है ये लाभ, जानिए क्या है धार्मिक मान्यता
सनातन धर्म में कई पेड़-पौधों की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पीपल के पेड़ की परिक्रमा का भी विशेष महत्व है। सनातन धर्म में परिक्रमा को बहुत महत्व दिया गया है। फिर चाहे अग्नि की परिक्रमा हो, पहाड़ की परिक्रमा हो या फिर मंदिर या पेड़ की। परिक्रमा का अर्थ होता है किसी चीज के चारों ओर भ्रमण करना। हिन्दु धर्म में किसी चीज की परिक्रमा तब की जाती है जब कोई मन्नत मांगनी हो या फिर कोई वचन लेना हो। हर चीज की परिक्रमा के फल भी अलग-अलग होते हैं। फिलहाल आज हम ‘पीपल के पेड़’ की प्रक्रिमा के बारे में बात करेंगे। आखिर क्यों लगाई जाती है पीपल के पेड़ की परिक्रमा और इस पेड़ की पूजा करने के पीछे क्या है धार्मिक कारण।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पीपल के पेड़ की परिक्रमा :
वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पीपल के पेड़ से भरपूर ऑक्सीजन मिलती है। इस लिहाज से यह पेड़ जीवन देता है। पंडित जी कहते, ‘स्कंद पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि पीपल का पेड़ आम पेड़ों से बहुत अलग होता है। इसमें दैवीय शक्तियां होती हैं क्योंकि इसमें देवी-देवता रहते हैं। अगर आपका या आपके घर में किसी भी सदस्य का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है तो उसे पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करनी चहिए। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है।’ आयुर्वेद के एक प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘चरकसंहिता’ में भी बात का जिक्र किया गया है कि शरीर में यदि वात, पित्त और कफ का सही संतुलन है तो शरीर में कोई भी संक्रमण नहीं हो सकता। यदि इसका संतुलन बिगड़ेगा तो शरीर अस्वस्थ्य हो जाएगा।
मानसिक शांति के लिए पीपल के पेड़ की परिक्रमा :
पीपल के पेड़ की परिक्रमा यदि आप रोज करते हैं तो इससे आपको मानसिक शांति मिलती है। हिंदू धर्म के 7 प्रमुख ऋषियों में से एक महर्षि शौनक ने भी पीपल के पेड़ की प्रक्रिमा को महत्वपूर्ण बताया है। पंडित जी कहते हैं, ‘सुबह मंगल मुहूर्त में पीपल के पेड़ की यदि 3 या 7 बार परिक्रमा की जाए तो इससे मन शांत रहता है और बुरे विचार नहीं आते हैं। इतना ही नहीं अगर आप रोज ऐसा करते हैं तो आप पर आया आर्थिक संकट टल जाता है।’
शनि का प्रकोप कम होता है :
हिंदू देवी-देवताओं में से एक शनि देव यदि प्रसन्न हो जाएं तो वारे न्यारे हो जाते हैं और अगर रूठ जाएं तो बने-बनाए काम भी बिगड़ जाते हैं। अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है और आप इस दोष की पीड़ा से मुक्ति पाना चाहते हैं तो पंडित जी ने इसका भी एक उपाय बताया है, ‘हर शनिवार और अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। इसके साथ ही सरसों के तेल का दिया जलाना चाहिए। इससे आपके ऊपर से शनि का प्रकोप खत्म हो जाएगा।’
‘जन्म नक्षत्र’ के अनुसार पीपल के पेड़ की परिक्रमा :
हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में उसका ‘जन्म नक्षत्र’ बताया गया होता है। आप इसे किसी ज्योतिष को अपनी कुंडली दिखा कर भी जान सकते हैं। अपने ‘जन्म नक्षत्र’ के अनुसार भी आपको पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से लाभ होता है। जैसे: सूर्य ‘जन्म नक्षत्र’ वालों को रविवार के दिन 5 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा करनी चाहिए। वहीं चंद्र ‘जन्म नक्षत्र’ वालों को सोमवार के दिन 4 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा करनी चाहिए। मंगल के दिन जन्में लोगों को मंगलवार के दिन पीपल के पेड़ की 8 बार परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से लोगों को अत्यंत लाभ मिलता है।