स्वास्थ्य

आखिर शरीर के इन अंगों पर ही क्यों लगाया जाता है इंजेक्शन, जानिए वजह

वैसे तो आपने अपने जीवन में कई बार किसी बीमारी या ऑपरेशन के दौरान इंजेक्शन लगवाया होगा, लेकिन इंजेक्शन लगवाते समय क्या आपने कभी गौर किया है कि इंजेक्शन शरीर के कुछ खास अंगों पर ही लगाया जाता है। जी हां आखिर शरीर के इन अंगों पर ही इंजेक्शन क्यों लगाया जाता है, आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताना चाहते है। बहरहाल ज्यादातर इंजेक्शन हाथ या कमर पर ही लगाया जाता है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे कि डॉक्टर ऐसा खुद अपने मन से नहीं करते बल्कि इसकी कोई न कोई वजह जरूर होती है।

क्यों शरीर के इन अंगों पर ही लगाएं जाते है इंजेक्शन :

गौरतलब है कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। जी हां इंजेक्शन कई तरह के होते है, जैसे कि इंट्रावेनस, इंट्रामस्‍क्‍युलर, सबक्‍यूटेनियस और इंट्राडर्मल आदि कई तरह के होते है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि इंजेक्शन को शरीर के किस हिस्से पर लगाना है, यह उसमें भरी दवाई और मरीज की बीमारी पर निर्भर करता है। चलिए आपको इस बारे में जरा विस्तार से बताते है।

बता दे कि इंट्रावेनस इंजेक्शन हाथ में लगाया जाता है और इसका इस्तेमाल सीधा नसों में दवाई पहुंचाने के लिए किया जाता है। जी हां इससे दवाई सीधा ब्लड में जाती है और शरीर तेज़ी से दवाई को अवशोषित कर लेता है। बहरहाल टिटनेस का हो या कोविड वैक्सीन लेकिन दोनों इंजेक्शन हाथ में ही लगाएं जाते है।

कई तरह के होते है इंजेक्शन :

बता दे कि इंट्रामस्‍क्‍युलर इंजेक्शन मांसपेशियों में लगाया जाता है और मांसपेशियों में रक्त की भरपूर पूर्ति होती है, जो शरीर में दवा को जल्दी अवशोषित करने में मदद करती है। जी हां ज्यादातर इन्हें कूल्हे या जांघ वाले हिस्से पर लगाया जाता है। दरअसल ऐसे इंजेक्शनों में एंटीबायोटिक और स्‍टेरॉयड के इंजेक्शन शामिल होते है।

गौरतलब है कि सबक्‍यूटेनियस इंजेक्शन त्वचा के ठीक नीचे और मसल टिश्यूज के ऊपर फैटी टिश्यूज में लगाते है। इस दौरान हाथ या जांघ के ऊपरी हिस्से या पेट में इंजेक्शन लगाया जाता है। बहरहाल त्वचा के नीचे इंजेक्शन लगाने के लिए एक छोटी सुई का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि दवा मांसपेशियों में न जा सके। बहरहाल इस तरह के इंजेक्शन के जरिए इन्सुलिन और गाढ़े खून को पतला करने वाली दवाएं दी जाती है।

बहुत सोच समझ कर बीमारी दूर करने के लिए लगाएं जाते इंजेक्शन :

बता दे कि इंट्राडर्मल इंजेक्शन त्वचा की सतह के ठीक नीचे लगाया जाता है, जिससे एक छोटी सी गांठ बन जाती है, जिसे बल्ब या वील कहा जाता है। दरअसल इस इंजेक्शन का इस्तेमाल टीबी और एलर्जी की जांच करने में किया जाता है और इस इंजेक्शन को हमेशा कम बालों वाले एरिया में ही लगाया जाता है।

इसके इलावा उस जगह कोई घाव, मसा आदि सब भी नहीं होना चाहिए। यही वजह है कि उसे कलाई वाले हिस्से के पास दिया जाता है। वैसे अब तो आप समझ गए होंगे कि आखिर क्यों शरीर के इन अंगों पर ही इंजेक्शन लगाया जाता है और इसके पीछे की वजह क्या है।

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