स्वास्थ्य

फैटी लिवर से लेकर कैंसर से बचाव तक, कड़वे करेले के ये गुणकारी फायदे जानकर आज ही खाना शुरू कर देंगे आप, लेकिन सेवन से पहले नुकसान भी जान लीजिए

Karela Ke Fayde Aur Nuksan In Hindi : इसमें कोई शक नहीं कि करेला जितना कड़वा होता है उतना ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी भी माना जाता है। जी हां करेले को कुछ चुनिंदा स्वास्थ्यवर्धक सब्जियों में से एक माना जाता है, लेकिन इसका स्वाद कड़वा होता है, इसलिए बहुत कम लोग ही इसे पसंद करते है। मगर आपकी जानकारी के लिए बता दे कि करेला कई बीमारियों के प्रभाव और लक्षणों को कम करने की क्षमता भी रखता है। ऐसे में आज हम आपको करेले के फायदे, पौष्टिक तत्त्व, नुकसान और उपयोग के बारे में सब कुछ विस्तार से बताना चाहते है। सबसे पहले हम आपको बताते है कि आखिर करेला क्या है।

Karela Ke Fayde Aur Nuksan In Hindi

करेला क्या है :

बता दे कि करेला एक हरी सब्जी है और यह स्क्वैश परिवार का सदस्य है। जी हां करेले का वैज्ञानिक नाम मोमोर्डिका चरैन्टिया है और इसे अंग्रेजी में बिटर मेलन तथा बिटर गॉर्ड के नाम से भी जाना जाता है। इसके इलावा इसे बंगाली में कॉरोला, कन्नड़ में हगालाकायी और हिंदी में करेला कहा जाता है। इसके साथ ही यह अफ्रीका, कैरिबियन, भारत और मध्य पूर्वी देशों में भी काफी लोकप्रिय है। अब भले ही यह खाने में कड़वा हो, लेकिन औषधीय गुणों से भरपूर होता है। चलिए अब आपको इसके फायदों से रूबरू करवाते है।

करेले के फायदे : 

मधुमेह में फायदेमंद :

बता दे कि एक शोध के अनुसार करेले में एंटीडायबिटिक गुण होते है और करेला ब्लड शुगर को कम करके अच्छा प्रभाव डालता है। इसलिए मधुमेह से बचाव के लिए करेला या करेले के जूस का सेवन किया जा सकता है। बहरहाल जानवरों पर भी करेले का यही प्रभाव देखा जा सकता है, हालांकि इस पर और शोध करने की अभी जरूरत है। फिर भी आप डॉक्टरी सलाह पर घरेलू उपाय के रूप में मधुमेह के लिए इसका सेवन कर सकते है।

वजन घटाने में फायदेमंद :

बता दे कि एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार ऐसा माना जाता है कि उच्च वसा का सेवन करने वाले चूहों में करेले का एंटीओबेसिटी प्रभाव पाया जाता है जो बढ़ते हुए वजन को कम करने में काफी मददगार है। इसके साथ ही लिपिड मेटाबॉलिज्म में भी बढ़ोतरी पाई गई है। फिलहाल मनुष्य पर इसका प्रभाव देखने को लेकर और भी शोध करने की जरूरत है।

कैंसर से बचाव के लिए औषधीय गुण :

बता दे कि यह कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है क्योंकि करेले से जुड़े अध्ययन से यह बात सामने आई है कि आयुर्वेद में करेले का उपयोग कैंसर जैसी बीमारी का उपचार करने के लिए किया जाता है। जी हां यह कैंसर कोशिकाओं के निर्माण में बाधा डालने का काम करके कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। बहरहाल यह प्रोस्टेट कैंसर और पेट के कैंसर से बचाव करने में मदद करता है। हालांकि इस बीमारी के इलाज के लिए पहली प्राथमिकता डॉक्टर को ही देनी चाहिए।

लिवर के लिए फायदेमंद :

गौरतलब है कि करेला लिवर के लिए एक अच्छे  डिटॉक्सिफाय एजेंट के रूप में काम कर सकता है। जो शरीर को प्राकृतिक रूप से साफ करने में मदद कर सकता है। जी हां चूहों पर किए गए एक शोध में इसके हेपेटोप्रोटेक्टिव प्रभाव के बारे में पता चला है और इसके साथ ही यह फैटी लिवर जैसी बीमारी में भी काफी लाभकारी साबित होता है।

दरअसल फैटी लिवर एक ऐसी समस्या है, जिसमें लिवर में फैट जमा होने लगता है और बहुत ज्यादा शराब पीने की वजह से यह समस्या हो सकती है। ऐसे में करेले का अर्क ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करके अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी पर सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है। बहरहाल यह फैटी लिवर की समस्या के दौरान फैट के जमाव को रोकने में मदद कर सकता है।

कोलेस्ट्रॉल में फायदेमंद :

बता दे कि कोलेस्ट्रॉल के कारण हृदय संबंधी रोग हो सकते है या फिर दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है। ऐसे में उन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित या कम करने में मदद कर सके। जिसके लिए करेला काफी लाभकारी माना जाता है। जी हां एक शोध के अनुसार कोलेस्ट्रॉल युक्त आहार का सेवन करने वाले चूहों को करेले के अर्क का सप्लीमेंट दिया गया था, जिससे उनके कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड में कमी पाई गई। हालांकि मनुष्य पर इस विषय को लेकर अभी और शोध करने की जरूरत है।

कब्ज और बवासीर के लिए फायदेमंद :

बता दे कि करेले में भोजन पचाने के गुण पाए जाते है जो मल त्यागने की प्रक्रिया को आसान बना देते है। जी हां यह बवासीर में भी सकारात्मक प्रभाव दिखाते है और करेले के पत्तों का अर्क मल त्याग को आसान बना कर कब्ज से निजात दिलाने में मदद करता है। बहरहाल बवासीर का एक कारण कब्ज भी होता है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि करेले का जूस कब्ज के साथ साथ बवासीर में मददगार साबित होता है। हालांकि इससे पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लीजिए।

आंखों के लिए फायदेमंद :

बता दे कि एक रिसर्च में यह पाया गया है कि करेले में मौजूद बीटा कैरोटिन आंखों की बीमारियों में काफी लाभकारी साबित होते है। जी हां यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में काफी मददगार साबित होता है।

सूजन के लिए फायदेमंद :

बता दे कि करेले में एंटी इन्फ्लामेटरी गुण भी मौजूद होते है जो सूजन के जोखिम से बचाव करने में मददगार साबित होते है। जी हां यह सूजन के कारण होने वाली समस्याओं में भी लाभकारी साबित हो सकता है। हालांकि अभी इस पर शोध चल रहा है।

त्वचा के लिए फायदेमंद :

बता दे कि करेले की  अर्क युक्त स्किन क्रीम, घावों के लिए काफी असरदार साबित हो सकती है। जी हां एक अध्ययन के अनुसार खरगोशों पर इस क्रीम का इस्तेमाल किया गया था और इससे उनके घावों में तेजी से सुधार देखा गया है। इसके साथ ही इसमें काफी अच्छी मात्रा में विटामिन सी भी पाया जाता है। हालांकि मनुष्य पर इसके प्रभाव को लेकर अभी और अध्ययन करने की जरूरत है।

करेले के पौष्टिक तत्त्व :

पोषक तत्व प्रति : 100ग्राम

पानी : 94.03 ग्राम

एनर्जी : 17 केसीएल

प्रोटीन :1 ग्राम

टोटल लिपिड : 0.17 ग्राम

कार्बोहाइड्रेट : 3.7 ग्राम

फाइबर, टोटल डाइटरी : 2.8 ग्राम

कैल्शियम : 19 मिलीग्राम

आयरन : 0.43मिलीग्राम

मैग्नीशियम : 17 मिलीग्राम

फास्फोरस : 31मिलीग्राम

पोटेशियम : 296 मिलीग्राम

सोडियम : 5 मिलीग्राम

जिंक : 0.8मिलीग्राम

कॉपर : 0.034 मिलीग्राम

मैंगनीज : 0.089 मिलीग्राम

सेलेनियम : 0.2 माइक्रोग्राम

विटामिन सी : 84 मिलीग्राम

थियामिन : 0.04 मिलीग्राम

राइबोफ्लेविन : 0.04 मिलीग्राम

नियासिन : 0.4 मिलीग्राम

पैंटोथैनिक एसिड : 0.212 मिलीग्राम

विटामिन बी6 : 0.043 मिलीग्राम फोलेट

टोटल : 72 माइक्रोग्राम

विटामिन ए, आरएई : 24 माइक्रोग्राम

कैरोटीन, बीटा : 190 माइक्रोग्राम

कैरोटीन, अल्फा : 185 माइक्रोग्राम

विटामिन ए, आईयू : 471

आईयूलुटिन + जियाजैंथिन : 170 माइक्रोग्राम

करेले के उपयोग :

बता दे कि करेले की सिर्फ सब्जी ही नहीं बल्कि अचार भी बनाया जा सकता है और करेले का जूस बना कर भी पी सकते है। इसके इलावा करेले का रस बालों में भी लगाया जा सकता है।

अब यूं तो करेले के बहुत सारे फायदे है, लेकिन अगर इसका उपयोग जरूरत से ज्यादा किया जाएं तो इससे काफी नुकसान भी हो सकते है। जो इस प्रकार है।

करेले के नुकसान :

बता दे कि करेले में कुछ ऐसे तत्त्व होते है जिनके कारण गर्भपात हो सकता है, इसलिए गर्भावस्था में करेले का सेवन न करे। बहरहाल अगर आप प्रेगनेंसी में करेले का सेवन न करे तो आपके लिए काफी बेहतर होगा।

गौरतलब है कि गर्भावस्था के साथ साथ जो स्त्रियां स्तनपान करवाती है, उन्हें भी करेले का सेवन करने से बचना चाहिए। वो इसलिए क्योंकि करेले में कुछ विषैले तत्त्व मौजूद होते है, जो स्तनपान करवाने वाली महिलाओं से उनके शिशु में जा सकते है।

बता दे कि मधुमेह के रोगी अगर दवा का सेवन कर रहे है तो करेले का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए। जी हां करेला ब्लड शुगर की मात्रा को कम कर सकता है और ऐसे में डायबिटीज की दवा के साथ करेले का सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है।

बहरहाल कुछ व्यक्तियों को करेले का सेवन करने से दस्त, पेट में ऐंठन और सिर दर्द हो सकता है। इसलिए करेले का सेवन करने से बचे और ज्यादा करेला न खाएं।

यहां गौर करने वाली बात ये है कि करेले में कई सारे औषधीय गुण जरूर होते है, लेकिन फिर भी किसी गंभीर बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर द्वारा किए जाने वाले इलाज को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। इसलिए करेले का संतुलित मात्रा में या डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही सेवन करे। दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको ये जानकारी जरुर पसंद आई होगी। इस बारे में आपकी क्या राय है, ये हमें जरूर बताइएगा।

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