अध्यात्म

हिंदू धर्म में अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा क्यों है, जानिए इसके सामाजिक और वैज्ञानिक कारण

अस्थियों को गंगा में क्यों विसर्जित करते हैं : अगर हम हिंदू धर्म की बात करे तो हिंदू धर्म के अनुसार गंगा को बेहद पवित्र माना जाता है। जी हां सनातन धर्म में इसे मोक्ष दायिनी भी कहा गया है और स्कंद के अनुसार गंगा में स्नान करने से दस तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। मगर क्या आप जानते है कि हिंदू धर्म के अनुसार आखिर अस्थियों को गंगा के प्रवाहित क्यों किया जाता है और इसके पीछे की वजह क्या है। बहरहाल ऐसा माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से दैहिक, दैविक और भौतिक ताप भी दूर होते है। इसके इलावा ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी के इलावा मां गंगा की दो अन्य धाराएं आकाशगंगा और एक धारा पाताल में भी है।

अस्थियों को गंगा में क्यों विसर्जित करते हैं 

आखिर अस्थियों को गंगा में ही क्यों प्रवाहित किया जाता :

बता दे कि हमारी संस्कृति में कोई भी शुभ काम गंगा के पवित्र जल के बिना मुमकिन ही नहीं है। जी हां तभी तो बच्चों के मुंडन से लेकर अस्थियों के जल प्रवाहित करने तक हर कार्य में गंगा का खास महत्त्व है। तो चलिए अब आपको बताते है कि आखिर अस्थियां गंगा में ही क्यों प्रवाहित की जाती है और इसके पीछे की वजह क्या है। गौरतलब है कि मां गंगा श्रीहरि के चरणों से निकली थी और भगवान शिव की जटाओं में वास करते हुए पृथ्वी पर आई थी।

इसके साथ ही गरुड़ पुराण सहित कई ग्रंथों और वेदों में भी ये कहा गया है कि गंगा देव नदी या स्वर्ग की नदी है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति का निधन गंगा नदी में हो जाएं तो उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है। जी हां वह व्यक्ति सीधे भगवान विष्णु के पास बैकुंठ लोक में पहुंच जाता है। वही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाएं तो इससे मरने वाले की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष दायिनी गंगा के पवित्र जल को स्पर्श करने से मरने वाले की आत्मा के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते है। इसके इलावा शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि गंगातट पर शरीर त्यागने वाले को यमदंड का सामना नहीं करना पड़ता।

गंगा नदी हमेशा रहेगी पवित्र :

बहरहाल शंख स्मृति और कर्म पुराण में भी अस्थियों को गंगा में विसर्जन करना काफी शुभ माना गया है और ऐसा माना जाता है कि इससे इंसान के सभी पाप नष्ट हो जाते है तथा आत्मा को नया मार्ग भी मिलता है। इसलिए हरिद्वार, प्रयाग आदि जगहों के गंगातट पर विधि विधान के साथ अस्थियों का विसर्जन किया जाता है।

अगर हम मां गंगा से जुड़ी एक कथा के बारे में बात करे तो एक दिन मां गंगा भगवान नारायण से मिलने बैकुंठ धाम गई थी और तब उन्होंने श्रीहरि से पूछा कि हे प्रभु मेरे जल में स्नान करने से सभी के पाप नष्ट हो जाते है, लेकिन मैं इतने पापों का बोझ कैसे उठाऊंगी, तो भगवान नारायण जी ने कहा कि जब आपके जल में साधु संत और वैष्णव आ कर स्नान करेंगे तब आपके अंदर समाएं हुए सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। यानि मां गंगा हमेशा पतित पावन बनी रहेंगी। जी हां पृथ्वी पर जो भी गंगा नदी में डुबकी लगाएगा उसे मोक्ष की प्राप्ति जरूर होगी।

अस्थियां प्रवाहित करने का वैज्ञानिक कारण है ये :

वही अगर वैज्ञानिक कारण की बात करे तो अस्थियों में कैल्शियम और फास्फोरस ज्यादा मात्रा में होता है, जो खाद में रूप में भूमि को उपजाऊ बनाता है। इसके साथ ही यह जलीय जीवों के लिए भी पौष्टिक आहार है। बता दे कि गंगा हमारे देश की सबसे बड़ी नदी है और इसके जल से भूमि का बहुत बड़ा भाग सिंचित होता है।

बहरहाल नदी के जल की उर्वरा शक्ति क्षीण ना हो, इसलिए इसके बचाव के लिए इसमें अस्थियां प्रवाहित करने की परंपरा है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि आखिर हिंदू धर्म में गंगा में अस्थियों को क्यों प्रवाहित किया जाता है। दोस्तों आपको यह जानकारी कैसी लगी, इस बारे में हमें अपनी राय जरूर दीजियेगा।

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