
घुटनों में ग्रीस कैसे बढ़ाएं.. ये चीजें कर सकती हैं कमाल, दर्द भी होगा दूर
घुटनों की “ग्रीस” यानी जॉइंट लुब्रिकेशन शरीर के जोड़ों को लचीला और गतिशील बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। जब यह द्रव कम होने लगता है, तब घुटनों में घर्षण, दर्द और चलने-फिरने में तकलीफ होने लगती है। यह कंडीशन आमतौर पर ऑस्टियोआर्थराइटिस के रूप में जानी जाती है। आयुर्वेद में ऐसे कई हर्ब्स बताए गए हैं, जो घुटनों की ग्रीस को बढ़ाने, जोड़ों में सूजन कम करने और हड्डियों को पोषण देने में मददगार होते हैं।
घुटनों में ग्रीस कैसे बढ़ाएं

घुटनों के लिए हड़जोड़ :
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यह हड्डियों को जोड़ने और पुनर्निर्माण में मदद करती है। यह जड़ी-बूटी हड्डियों और जोड़ों के बीच की कार्टिलेज को पोषण देती है और जोड़ों में लुब्रिकेशन बनाए रखती है। विशेष रूप से यदि घुटनों में घिसाव या “ग्रीस” कम हो गई हो, तो रेगुलर हड़जोड़ लेने से हड्डियों की मरम्मत और सुरक्षा हो सकती है।
घुटनों के लिए शल्लकी :
शल्लकी एक असरदारी हर्ब है, जिसे इंडियन लोबान भी कहते हैं। इसमें मौजूद बोस्वेलिक एसिड जोड़ों की सूजन को कम करने और कार्टिलेज के क्षरण को रोकता है।
यह जोड़ों में मौजूद लिक्विड को सुरक्षित रखता है, जिससे घुटनों में “ग्रीस” बनी रहती है। यह नेचुरल पेनकिलर भी है और ऑस्टियोआर्थराइटिस से परेशान महिलाओं के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है।
घुटनों की ग्रीस के लिए अश्वगंधा :
अश्वगंधा एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को बढ़ाने, तनाव को कम करने और मसल्स को मजबूत बनाती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और पेनकिलर गुण घुटनों की सूजन और अकड़न को कम करते हैं। यह हड्डियों और जोड़ों के आस-पास लिगमेंट को मजबूती देता है, जिससे घुटनों के बीच का लुब्रिकेशन सही बना रहता है।
घुटनों की ग्रीस के लिए गुग्गुलु :
गुग्गुलु आयुर्वेद में जोड़ों के रोगों के लिए सबसे अच्छी जड़ी-बूटी मानी जाती है। खासतौर पर योगराज गुग्गुलु और महायोगराज गुग्गुलु जैसे फॉर्मुले, वात दोष को बैलेंस करने और जोड़ों की सूजन को कम करने के लिए फेमस है। यह शरीर में जमे हुए टॉक्सिन्स को बाहर निकालती है और जोड़ों में नेचुरल ग्रीस लाने में मददगार होती है। इसे रेगुलर लेने से जोड़ों में लचीलापन बढ़ता है और दर्द कम होता है।
घुटनों के लिए निरगुंडी :
निरगुंडी एक फेमस आयुर्वेदिक औषधि है, जो जोड़ों के दर्द, सूजन और अकड़न से राहत देती है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो वात से जुड़े रोगों को शांत करते हैं। निरगुंडी का तेल जोड़ों पर लगाने और पत्तों का काढ़ा पीने से घुटनों में सूजन कम होती है और घुटनों के आस-पास की मसल्स रिलैक्स होती हैं, जिससे लचीलापन बना रहता है।






