जीवन परिचय

पय्योली में पैदा होने से लेकर ‘Payyoli Express’ बनने तक जानिए पीटी उषा के जीवन की कहानी

पीटी उषा का पूरा नाम पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा है। पीटी उषा भारत की महानतम एथलीटों में से एक हैं, जिन्हें अक्सर देश की “क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड” कहा जाता है। पीटी उषा लंबे स्ट्राइड के साथ एक बेहतरीन स्प्रिंटर थीं। वो 1980 के दशक में अधिकांश समय तक एशियाई ट्रैक-एंड-फील्ड इवेंट्स में हावी रहीं। जहां उन्होंने कुल 23 पदक जीते, जिनमें से 14 स्वर्ण पदक थे। जहां भी वो दौड़ने जाती, वो दर्शकों की फेवरेट बन जाती थी।

पीटी उषा का जीवन परिचय PT Usha Biography In Hindi

प्रारंभिक जीवन :

पूरा नाम: पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा

जन्म : 27 जून 1964 को केरल के कोझिकोड जिले के पय्योली गांव में, माता-पिता ई.पी.एम. पैथल (कपड़ा व्यापारी) और टी.वी. लक्ष्मी के यहाँ ।

बचपन : असहज स्वास्थ्य स्थिति से जूझती हुई, उन्होंने बचपन में दौड़ना शुरू कर दिया था। सातवीं कक्षा में अपनी स्कूल की चैंपियन को हरा कर शुरू हुए उनकी प्रतिभा की पहचान ।

खेल केरियर की शुरुआत :

मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में 100 m और 200 m रेसों में स्वर्ण पदक जीते, और इस समय उन्हें केरल सरकार द्वारा ₹250 छात्रवृत्ति भी दी गई थी ।

कोच ओ॰एम॰ नांबियार का मार्गदर्शन उन्हें मिला, जिन्होंने शुरुआती दिनों से ही उनका प्रशिक्षण और उत्साह बनाए रखा ।

अंतरराष्ट्रीय सफलता :

1980 मॉस्को ओलिंपिक: मात्र 16 वर्ष की उम्र में ओलिंपिक में भागी, ट्रैक फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला बनीं ।

1982 एशियाई खेल (नई दिल्ली): 100 m में कांस्य, 200 m और 4×400 m रिले में रजत पदक जीता ।

1984 लॉस एंजिल्स ओलिंपिक: 400 m हर्डल्स में चौथे स्थान पर रहीं, बस 0.01 सेकंड से कांस्य पदक से चूक गयीं ।

1985 जकार्ता एशियाई चैंपियनशिप: 5 स्वर्ण और 1 रजत पदक जीता — कुल मिलाकर 6 पदक ।

1986 सियोल एशियाई खेल: उसने कई स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किए ।

विशेष उपलब्धियाँ :

एशियाई खेलों में कुल 4 स्वर्ण और 7 रजत पदक, एशियाई चैंपियनशिप में 14 स्वर्ण सहित 23 पदक जीते ।

अर्जुन पुरस्कार (1983) और पद्मश्री (1985) से सम्मानित ।

अपने करियर में कुल मिलकर 100+ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक जीते ।

खेल प्रशासन और राजनीति :

2000 में रिटायरमेंट के बाद, उन्होंने अपने नाम से Usha School of Athletics, बैलूस्सरी, केरल में एक अकादमी स्थापित की ।

2022 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया गया; उसी वर्ष दिसंबर में वह निर्विरोध भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की पहली महिला अध्यक्ष बनीं C

उपनाम और विरासत :

उपनाम : “पय्योली एक्सप्रेस” तथा “गोल्डन गर्ल” – भारत की ट्रैक एवं फील्ड की रानी ।

उन्होंने ना केवल भारतीय महिलाओं को प्रेरित किया, बल्कि आधुनिक कोचिंग और खेल संरचना को भी मजबूत किया।

दिसंबर 2022 में आईओए अध्यक्ष बनने के बाद पीटी उषा ने कहा, “मेरे सफर के अनुभवों की वजह से मैं इस पद के मूल्य को अच्छी तरह से जानती हूं। मैं एक एथलीट और एक कोच के दर्द को महसूस करती हूं। इन सबसे अधिक मैं सही मायनों में एक एडमिन की भूमिका को भी बख़ूबी समझती हूं।

पीटी उषा ने कहा, “मैं ओलंपिक मूल्यों को बनाए रखने और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों के साथ काम करने के लिए तत्पर हूं, ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि भारत एक खेल महाशक्ति बनने की राह पर नए आयामों को हासिल करे”।

यह भी पढ़ें : ओलंपिक मेडल की कीमत कितनी होती है, जानिए खिलाड़ियों को और क्या क्या मिलता है मेडल के साथ में

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