राजनीतिक जीवन :
ग्वालियर के आर्य कुमार सभा से उन्होंने राजनैतिक काम करना शुरू किये, वे उस समय आर्य समाज की युवा शक्ति माने जाते थे और 1944 में वे उसके जनरल सेक्रेटरी भी बने। 1939 में एक स्वयंसेवक की तरह वे राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गये। और वहा बाबासाहेब आप्टे से प्रभावित होकर, उन्होंने 1940-44 के दर्मियान आरएसएस प्रशिक्षण कैंप में प्रशिक्षण लिया और 1947 में आरएसएस के फुल टाइम वर्कर बन गये। विभाजन के बीज फैलने की वजह से उन्होंने लॉ की पढाई बीच में ही छोड़ दी।
प्रचारक के रूप में उन्हें उत्तर प्रदेश भेजा गया और जल्द ही वे दीनदयाल उपाध्याय के साथ राष्ट्रधर्म (हिंदी मासिक ), पंचजन्य (हिंदी साप्ताहिक) और दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे अखबारों के लिये काम करने लगे. वाजपेयी ने कभी शादी नही की। वे जीवन भर कुवारे ही रहे। अटल बिहारी वाजपेयी भारत के 10 वे पूर्व प्रधानमंत्री है. वे पहले 1996 में 13 दिन तक और फिर 1998 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री बने रहे। वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता है। भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के बाहर के इंसान होते हुए भारत की पांच साल तक सेवा करने वाले वे पहले प्रधानमंत्री थे।
स्वास्थ्य समस्याओं के चलते मुकर्जी की जल्द ही मृत्यु हो गई और बी.जे.एस. की कमान वाजपेयी ने संभाली और इस संगठन के विचारों और एजेंडे को आगे बढ़ाया। सन 1954 में वह बलरामपुर सीट से संसद सदस्य निर्वाचित हुए। छोटी उम्र के बावजूद वाजपेयी के विस्तृत नजरिए और जानकारी ने उन्हें राजनीति जगत में सम्मान और स्थान दिलाने में मदद की। 1977 में जब मोरारजी देसाई की सरकार बनी, वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया।
दो वर्ष बाद उन्होंने चीन के साथ संबंधों पर चर्चा करने के लिए वहां की यात्रा की। भारत पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के कारण प्रभावित हुए भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्ते को सुधारने के लिए उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा कर नई पहल की। जब जनता पार्टी ने आर.एस.एस. पर हमला किया, तब उन्होंने 1979 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सन 1980 में भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने की पहल उनके व बीजेएस तथा आरएसएस से आए लालकृष्ण आडवाणी और भैरो सिंह शेखावत जैसे साथियों ने रखी। स्थापना के बाद पहले पांच साल वाजपेयी इस पार्टी के अध्यक्ष रहे।
प्रधानमंत्री के रूप में अटल का कार्य :
जनता के बीच प्रसिद्द अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने।
वरिष्ठ सांसद श्री वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा (लोगों का सदन) में नौ बार और राज्य सभा (राज्यों की सभा) में दो बार चुने गए जो अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई ।
अटल जी की दो प्रसिद्ध कविताएं : परिचय और आवाहन के साथ युवा अटल की श्याम-श्वेत छवि वाला राष्ट्रधर्म के प्रथम अंक का मुखपृष्ठ है, इसके पश्चात पाञ्चजन्य के अप्रैल 1950 अंक का मुखपृष्ठ छपा है जिसका संपादन भी अटल जी ने किया था। मुख्य रूप से इस विशेषांक में कुल 96 पृष्ठों में छोटे-बड़े लगभग 40 लेख और 4 कविताएं संकलित हैं। संपादकीय से पूर्व उस समय के शीर्ष साहित्यकार पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी को अटल जी द्वारा लिखा पत्र प्रकाशित है। इसके पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को समर्पित अटल जी द्वरा रचित कविता है।
पुरस्कार (Rewards and Recognition)
अपने बहुआयामी व्यक्तित्व ,सर्वोतमुखी विकास और असाधारण कार्यों के लिए बाजपेई को समय-समय पर अनेक पुरस्कार प्रदान किये गये।
- वर्ष 1952 में उन्हें “पदम विभूषण”,
- 1993 में D.LT कानपुर विश्वविद्यालय ,
- 1994 में “लोकमान्य तिलक पुरस्कार”, “श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार”, “भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत” पुरस्कार प्रदान किया गया।
- वर्ष 2014 में D.LT मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय
- 2015 में “फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वॉर अवार्ड” और 2015 में “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
उपलब्धियां :
राजनीतिक आकांक्षाओं के अलावा, अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रख्यात कवि भी थे। उन्होंने हिंदी में कविताएँ भी लिखीं। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में “कैदी कविराज की कुंडलियाँ” (1975-77 के आपातकाल के दौरान कारावास के दौरान रचित कविताओं का संग्रह) और “अमर आग है” शामिल हैं।
देश के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण को मान्यता देते हुए, जिसे वे अपना पहला और एकमात्र प्यार कहते हैं, श्री अटल बिहारी वाजपेयी को 2014 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने जीवन के 50 से अधिक वर्ष समाज और राष्ट्र की सेवा में समर्पित किए। उन्हें वर्ष 1994 में ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ के रूप में सम्मानित किया गया था।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने न केवल स्वयं को एक प्रख्यात राष्ट्रीय नेता सिद्ध किया, बल्कि एक प्रखर राजनीतिज्ञ और समर्पित समाजसेवी भी थे। उनकी विविध प्रतिभाओं ने उन्हें एक बहुमुखी व्यक्तित्व प्रदान किया। उनके कार्यों में राष्ट्रवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता झलकती है, जहाँ उन्होंने जन आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया।