स्वास्थ्य

आयुर्वेद के अनुसार गुणों से भरपूर है सफेद तिल, जानिए इसके फायदे, नुक्सान और इस्तेमाल करने का सही तरीका

Til Ke Fayde Aur Nuksan In Hindi : वैसे तो तिल दिखने में काफी छोटे आकार का होता है, लेकिन फिर भी इसमें कई तरह के औषधीय गुण पाएं जाते है और सबसे बड़ी बात ये है कि मकर सक्रांति के त्योहार पर तिल का इस्तेमाल नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाने के लिए भी किया जाता है। बता दे कि आमतौर पर तिल सफेद, काले और भूरे रंग के होते है। बहरहाल तिल का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है और इसके सेवन से कई रोग दूर किए जा सकते है। ऐसे में हम आपको तिल के फायदे, उपयोग और नुकसान से रूबरू करवाना चाहते है, ताकि इसके बारे में जानने के बाद आप भी इसका सेवन नियमित रूप से और ठीक तरह से करे। तो चलिए अब आपको इस बारे में सब कुछ विस्तार से बताते है।

Til Ke Fayde Aur Nuksan In Hindi

तिल क्या है : What Is Sesame Seeds

सबसे पहले हम आपको ये बताना चाहते है कि आखिर तिल क्या है। बता दे कि तिल का वैज्ञानिक नाम सेसमेम इंडिकम है और इसे बेनी भी कहा जाता है। जब कि इसका पौधा पेड़ालियासी परिवार से संबंधित है और इसका इस्तेमाल कई तरह के व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है। यहां तक कि इससे तेल भी निकाला जाता है, जो काफी फायदेमंद होता है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि मकर सक्रांति के मौके पर तिल का उपयोग करना काफी शुभ माना जाता है।

जी हां तिल को विश्व का सबसे पहला तिलहन माना गया है और तिल के बीज का पौधा करीब एक मीटर ऊंचा होता है। हालांकि इसकी पत्तियां चार से आठ इंच तक लंबी और तीन से चार इंच तक चौड़ी होती है। बहरहाल इसके फूल गिलास के आकार के होते है, जो चार भागों में बंटे हुए होते है। आप चाहे तो तिल का सेवन कच्चा या सूखे के रूप में या फिर भूने हुए स्नैक्स के रूप में भी कर सकते है। बहरहाल आप ये तो समझ गए कि तिल क्या है, लेकिन अब हम आपको तिल के औषधीय गुणों से भी रूबरू करवाना चाहते है।

तिल के औषधीय गुण :

बता दे कि तिल में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी 1, फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, कॉपर और जिंक आदि गुण पाएं जाते है। जी हां इसमें सेसमीन और सेसमोलिन नामक दो तरह के सबसे जरूरी कंपाउंड भी पाएं जाते है, जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकते है। इसके साथ ही तिल में फाइटोस्टेरॉल और  पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड भी होता है जो शरीर से कोलेस्ट्रोल को कम करता है। इसके इलावा यह दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए भी फायदेमंद होती है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि तिल खाने के कई सारे फायदे होते है, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे है।

तिल के फायदे : Til Khane Ke Fayde In Hindi

उच्च प्रोटीन शाकाहारी आहार : बता दे कि तिल के बीज को शाकाहारी आहार के लिए सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है, क्योंकि यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है। इससे न केवल शरीर को ऊर्जा मिलती है बल्कि मांसपेशियों और हड्डियों का निर्माण भी होता है। यहां तक कि इससे वजन नियंत्रित करने में भी सहायता मिलती है।

मधुमेह से बचाव में सहायक : बता दे कि तिल के बीज में ऐसे कई पोषक तत्व होते है, जो मधुमेह से मुकाबला करने में मददगार साबित हो सकते है।  इसके साथ ही एक शोध के अनुसार तिल मधुमेह के रोगियों की हृदय संबंधी समस्याओं को सुधारने में भी मदद कर सकता है। यहां तक कि ये इंसुलिन के स्तर को भी नियंत्रित कर सकता है और इससे डायबिटीज के लक्षणों को सामान्य करने में भी मदद मिल सकती है। इसके साथ ही एक अन्य शोध के अनुसार तिल के बीज का सेवन टाइप 2 मधुमेह की रोकथाम में भी काफी हद तक लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

उच्च एंटीऑक्सीडेंट : बता दे कि तिल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बहुत ज्यादा लाभकारी होते है, क्योंकि जब फ्री रेडिकल्स शरीर के स्वस्थ सेल के साथ मिल कर शरीर के नुकसान पहुंचाते है तो तिल में मौजूद ये एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स को खत्म करके शरीर को बीमार होने से बचाने में मदद करते है। जी हां यह हृदय की सुरक्षा और ट्यूमर की रोकथाम करने में भी मददगार साबित होते है।

स्वस्थ हृदय में मददगार : गौरतलब है कि जब शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है तो हृदय संबंधी रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में तिल के बीज का सेवन करना हृदय के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकता है। दरअसल तिल के बीज में सेसमोल नामक कंपाउंड होता है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है। इसके साथ ही तिल के बीज में एंटी एथेरोजेनिक गुण भी होता है, जो हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

कैंसर से बचाने में सहायक : बता दे कि तिल के बीज में कई औषधीय गुण पाएं जाते है और तिल में मौजूद एंटीकैंसर के गुण कैंसर के खतरे को कम करने में मददगार साबित होते है। इसके इलावा तिल में मौजूद लिग्नांस पर व्यापक रूप से अध्ययन भी किया गया है और इस अध्ययन के अनुसार तिल को एंटीजिंग, एंटीकैंसर, एंटीडायबिटीज और एंटीइंफ्लेमेटरी आदि गुणों के लिए जाना जाता है। हालांकि यह केवल कैंसर जैसी बीमारी की रोकथाम के लिए उपयोगी है, लेकिन इससे कैंसर का इलाज नहीं किया जा सकता। इसलिए इस बीमारी का पूरा इलाज डॉक्टर ही कर सकते है।

रेस्पिरेटरी हेल्थ के लिए लाभकारी : बता दे कि अस्थमा श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है और तिल का सेवन करने से इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जी हां तिल के तेल से ब्रॉन्काइटिस के कारण होने वाली सूजन अर्थात ब्रॉन्कियल न्यूट्रॉफिलिक को कम करने में मदद मिलती है।

हड्डियों को बनाएं मजबूत : बता दे कि तिल के बीज में पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाया जाता है, जो एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से होने वाले ओस्टियोपोरोसिस की समस्या को ठीक करने में मददगार साबित होता है। इसके साथ ही तिल के तेल से बनने वाले पेस्ट में कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को मजबूत करने में मददगार साबित होता है।

आंखों के लिए फायदेमंद : बता दे कि तिल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते है, जो आंखों की रोशनी को काफी हद तक ठीक कर सकते है।

लो ब्लड प्रेशर के लिए लाभकारी : यहां गौर करने वाली बात ये है कि तिल में एंटीहाइपरटेंसिव का गुण पाया जाता है, जो उच्च रक्तचाप में काफी प्रभावकारी साबित हो सकता है। इसका इलावा तिल में मौजूद सेसमीन और सेस्मोलिन कंपाउंड उच्च रक्तचाप को कम करने में भी सहायता करते है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार : बता दे कि तिल में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव पाया जाता है जो इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

थायराइड के लिए फायदेमंद : बता दे कि गले में मौजूद ग्रंथी को थायराइड कहते है, जो पूरे शरीर में हार्मोन को संचारित करती है। ऐसे में इस ग्रंथी के ठीक से काम न करने से थायराइड की समस्या होती है और अगर कोई इस समस्या से ग्रस्त है तो तिल का तेल इस समस्या से राहत दिलाने में काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है। जी हां तिल के तेल में सिलेनियम होता है, जो थायराइड हार्मोन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही इसमें फैटी एसिड भी होता है, जो थायराइड ग्रंथी को सुरक्षित रखता है, ताकि यह ठीक से काम कर सके।

हार्मोन संतुलन के लिए उपयोगी : बता दे कि तिल में मौजूद औषधीय गुण हार्मोन संतुलन के लिए भी उपयोगी माने जाते है और ऐसा माना जाता है कि अगर महिला रजोनिवृत्ति के बाद तिल का इस्तेमाल करती है तो ब्लड लिपिड के साथ साथ एंटीऑक्सीडेंट और यौन संबंधी हार्मोन के स्तर में भी सुधार हो सकता है।

तिल के पौष्टिक तत्व :

अब अगर हम तिल के पौष्टिक तत्वों की बात करे तो इसमें कॉपर और मैंगनीज जैसे मिनरल्स का भंडार होता है। हालांकि इसके इलावा भी तिल में कई प्रकार के पोषक तत्व होते है, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे है। (विभिन्न स्रोतों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई है इनके पोषक तत्वों में भिन्नता पाई जा सकती है)

पानी : पांच ग्राम

ऊर्जा : 567kcal

प्रोटीन : 16.96ग्राम

टोटल लिपिड : 48ग्राम

कार्बोहाइड्रेट : 26.04ग्राम

आयरन : 7.78मिलीग्राम

फाइबर : 16.9ग्राम

मैग्नीशियम : 346 मिलीग्राम

फास्फोरस : 774मिलीग्राम

पोटेशियम : 406मिलीग्राम

सोडियम : 39मिलीग्राम 

जिंक : 10.23मिलीग्राम

कॉपर : 1.457मिलीग्राम

सेलेनियम : 34.4hg

विटामिन सी, टोटल एस्कार्बिक एसिड : 0मिलीग्राम

थियामिन : 1.205मिलीग्राम

राइबोफ्लेविन : 0.466मिलीग्राम

नियासिन : 5.438मिलीग्राम

तिल का उपयोग : Uses Of Til (Sesame Seeds)

बता दे कि तिल से बने तेल का उपयोग सब्जी बनाने के लिए किया जा सकता है और इसे सलाद में ऊपर से डाल कर भी खाया जा सकता है।

इसके इलावा सूप में मिला कर भी इसका सेवन किया जा सकता है और तिल का तेल निकाल कर इससे फ्राइड राइस तैयार करके भी खाए जा सकते है।

बता दे कि तिल के तेल को विंगेट्रेट की तरह भी लिया जा सकता है और विंग्रेटेट में तेल को कुछ एसिडिक पदार्थ के साथ मिला कर भी तैयार किया जा सकता है। जैसे कि सिरका या नींबू का रस आदि।

बता दे कि तिल को गुड़ में मिक्स करके भी खा सकते है और ज्यादातर इसका उपयोग सर्दियों में किया जाता है।

किस समय करे इसका सेवन :

बता दे कि इसे सुबह सलाद में मिला कर खाया जा सकता है और तिल के तेल को शाम के सूप के साथ भी ले सकते है। हालांकि इससे बनी सब्जी का सेवन दोपहर और रात के समय किया जा सकता है। गौरतलब है कि अगर आप चाहते है कि तिल से आपको फायदा हो तो एक बार में इसके एक से तीन चम्मच यानि तीस ग्राम ही लेना चाहिए, लेकिन इसे हर रोज नहीं लेना चाहिए। मगर यदि आप किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है तो इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लीजिए। इसके साथ ही इसके खुराक की मात्रा व्यक्ति की उम्र, कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है। खासतौर पर महिलाओं और छोटे बच्चों को इससे भी कम मात्रा में तिल का सेवन करना चाहिए।

तिल का तेल बनाने की विधि :

बता दे कि तिल का तेल बनाने के लिए दो किलो तिल और एक बड़ा सा बाउल लीजिए। इसके बाद तिल को बर्तन में निकाल ले और फिर तिल में पानी मिलाएं। इसके बाद तिल को अच्छे से धो कर छान लीजिए और छानने के बाद तिल को एक अलग पैन में निकाल लीजिए।

फिर तेल को हल्की आंच पर तब तक भूने जब तक तिल भूरे न हो जाएं। इसके बाद गैस बंद करके तिल को ठंडा होने के लिए छोड़ दीजिए।

गौरतलब है कि जब तिल अच्छे से ठंडे हो जाएं तो उन्हें ब्लेंडर में डाल कर अच्छी तरह से मिक्स कर लीजिए और इसे तब तक ब्लेंड करें जब तक उसका पेस्ट न बन जाएं। बहरहाल पेस्ट बनने के बाद तिल को एक बड़े बर्तन में निकाल लीजिए और इसमें 850मिली गर्म पानी मिला लीजिए। हालांकि पेस्ट में पानी डालते समय उसे साथ ही साथ अच्छी तरह से मिलाते भी रहे।

फिर जब पेस्ट निचली सतह पर जम जाएं तो एक चम्मच की मदद से ऊपर ऊपर से तिल के तेल को निकाल ले। बस इस तरह से तिल का तेल आसानी से निकाला जा सकता है और यहां आपको ये भी बता दे कि दो किलो तिल से करीब चार सौ पचास मिली तेल निकाला जा सकता है।

ऐसे करे सही तिल का चयन :

बता दे कि असली सफेद तिल की निशानी ये है कि उनका रंग पूरी तरह से सफेद नहीं होता और ये तिल बीच बीच में हल्के पीले तथा क्रीमी रंग के भी हो सकते है। इसके इलावा अच्छे तिल की एक पहचान ये भी है कि वो थोड़े मोटे होते है और ऐसे तिल ताजे तथा अच्छी गुणवत्ता वाले होते है। यानि अगर तिल सपाट और सूखे नजर आएं तो उनका इस्तेमाल न करे।

तिल को ऐसे रखे सुरक्षित :

वही अगर हम काले तिल की बात करे तो उनका रंग हमेशा डार्क ब्राउन से ब्लैक या फिर पिच ब्लैक जैसा होता है। जी हां ऐसे तिल को अच्छी गुणवत्ता वाला माना जाता है। गौरतलब है कि तिल को हमेशा एक साफ और एयर टाइट डब्बे में बंद करके रखे तथा समय समय पर धूप लगाते रहे। इसके इलावा तिल को भून कर भी रखा जा सकता है और तिल को इनके छिलके के साथ भी रखा जा सकता है।

तिल के नुकसान : Side Effects of Til (Sesame Seeds)

अगर हम तिल के नुकसान की बात करे तो कुछ लोगों को तिल के तेल के उपयोग से एलर्जी हो सकती है और ऐसे में अधिक मात्रा में तिल का सेवन करने से त्वचा भी प्रभावित हो सकती है।

बता दे कि गर्भवती महिला को तिल के सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए, ताकि तिल से होने वाले किसी भी तरह के नुकसान से बचा जा सके।

यहां गौर करने वाली बात ये है कि तिल किसी भी बीमारी का संपूर्ण इलाज नहीं है, इसलिए किसी भी बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने के लिए आपको डॉक्टर से ही इलाज करवाना चाहिए।

कुछ खास ध्यान देने योग्य बातें :

अब अगर हम तिल के बारे में कुछ खास बातें बताएं तो तिल का अधिक मात्रा में सेवन करने से उसे पचाना मुश्किल हो जाता है। दूसरी बात ये कि तिल की तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में इसका सेवन करना ज्यादा बेहतर है। इसके इलावा आपको हर रोज तिल का सेवन करने से बचना चाहिए।

बता दे कि तिल के सेवन से गैस की समस्या नहीं हो सकती और तिल के तेल में एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते है, जो त्वचा से बैक्टीरिया और फंगस को दूर करने में मदद कर सकते है, जिससे त्वचा साफ रह सकती है। इसलिए तिल के तेल का इस्तेमाल उबटन में भी किया जा सकता है।

बता दे कि तिल को कच्चा खाने से भी काफी फायदे मिल सकते है और सफेद तिल की बजाय काले तिल मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए ज्यादा फायदेमंद होते है।

बता दे कि आप रात को भी तिल का सेवन कर सकते है, लेकिन इसका सेवन हमेशा उचित मात्रा में ही करना चाहिए। इसके इलावा अगर आप तिल को बाजार से खरीद कर लाएं है तो इसे अच्छी तरह से धोने के बाद ही इसका इस्तेमाल करे और तिल का उचित मात्रा में उपयोग करने से वजन भी नहीं बढ़ता।

गौरतलब है कि तिल का इस्तेमाल दोनों तरह से किया जा सकता है। जी हां आप इसे कच्चा भी खा सकते है और भून कर भी इसका इस्तेमाल कर सकते है। बहरहाल अब तो आप समझ गए होंगे कि तिल के फायदे, नुकसान और उपयोग क्या है। तो हम उम्मीद करते है कि ये जानकारी पढ़ने के बाद आप भी तिल का सही तरह से सेवन जरूर करेंगे।

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